बदलता मौसम और गर्मी एलर्जी की समस्या को बढ़ावा देती है। फरवरी माह के अन्त से अप्रैल माह के अंत तक एलर्जी के केस काफी बढ़ जाते हैं। फरवरी माह में फूलों से परागकण हवा में निकलते हैं और 10-15 प्रतिशत लोग पराग कणों से एलर्जिक होते हैं। इस समस्या को HEY FEVER कहते हैं। जिसमें आंखों की लाली के साथ-साथ पानी भी निकलता है और तेज खारिश होती है, आंखों के साथ-साथ नाक में भी खारिश होती है और छींकों के साथ पानी निकलता है। इसके अलावा चमड़ी पर भी लाल चकतों के साथ खारिश होती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए जो लोग एलर्जिक होते हैं, उन्हें एतिहातन फरवरी के महीने से ही Antiallergic देते हैं, जो इस समस्या की तीव्रता को काफी कम कर देता है। अप्रैल के महीने में जब तापमान अचानक बढ़ता है और फसल की कटाई शुरु होती है, तो ये मौसम भी एलर्जी को बढ़ाता है। अधिकतर लोग जो इस तापमान बदलाव व फसल कटाई के प्रति संवेदनशील होते है। उनमें वहीं लक्षण दिखते हैं जैसे आंखों में तीव्र खारिश, लाली, आखों की पलकों का सूजना, पलक के नीचे दाने बनना और आंखों के नीचे झूरिया बनना। इसे हम एलर्जिक Congunctivitis कहते हैं। इस स्थिति में आंखों से खूब पानी निकलता हैं, जो आंखों की नीचे की चमड़ी को भी खराब करता है। बच्चे जो पराग कणों के प्रति संवेदनशील होते हैं, उनकी आंखों में मार्च महीने से जुलाई महीने तक एलर्जी अधिक बनी रहती है। जिसे VERNAL Conjunctivitis कहा जाता है। इसमें भी आंखें लाल रहती है और पानी के साथ खारिश होती है। अधिक एलर्जी होने के साथ इस स्थिति में आंखों में जख्म भी हो सकते हैं। जैसा कहा जाता है कि इलाज से परहेज बेहतर है। परहेज के लिए हमें एलर्जी का मौसम शुरु होते ही सावधानियां बरतनी चाहिए। पहनने के लिए सूती कपड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए। धूप और धूल, मिट्टी से बचना चाहिए।
इस मौसम में आंखों को साफ ठण्डे पानी से धोना चाहिए। घर के बाहर कम निकलना चाहिए और फूल वाले पौधों से दूरी रखनी चाहिए। सिर पर डाई/महेंदी का इस्तेमाल कम करना चाहिए और घर में अगर पालतू पशु है तो संवेदनशील लोगों को इनसे दूरी बना कर रखनी चाहिए। एलर्जी शुरु होने पर तुरंत आंखों के चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। आपके चिकित्सक आपको आपकी स्थिति के मद्देनजर अलग-अलग प्रकार के Antiallergic दे सकते हैं, जिन्हें आप उनके परामर्श के अनुसार नियमित लें। याद रखें, एलर्जी का इलाज सिर्फ Symptomatic है। अर्थात जब एलर्जी हो तो इसे उतने समय के लिए कम किया जा सकता है, जितनी देर आप दवा ले रहे हैं। इसलिए दवा आपके लम्बे समय तक भी लेनी पड़ सकती है। बच्चों की एलर्जी (VERNAL) Conjuctivitis 14-15 साल की उम्र के बाद स्वयत: ही खत्म हो जाती हैं और छोटी उम्र से 15 साल की उम्र तक संवेदनशील बच्चों को हर साल फरवरी माह से अगस्त माह तक दवा लेनी पड़ सकती है।
डॉ. परमजीत सिंह,
संगरूर (नेत्र रोग विशेषज्ञ)
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