जिस मस्जिद में आज होती है अजान, पहले होता था गुरुबाणी का पाठ
- रोहतक जिले का सबसे छोटा गांव है तैमूरपुर
- देशवासियों को धार्मिक सौहार्द का परिचय देता है गांव तैमूरपुर
सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा
रोहतक। तैमूरपुर गांव (Taimurpur Village) भले ही यह गांव रोहतक जिले का सबसे छोटा गांव हो, लेकिन यहां से हर किसी को बड़ा संदेश मिलता है। संदेश धार्मिक सौहार्द, एकता और भाईचारे का। यहां बसने वाले हिन्दू-मुस्लिम एक-दूसरे के त्योहारों को केवल दिखावे सम्मान नहीं देते, बल्कि मिलकर मनाते हैं। यहां की सबसे बड़ी विशेषता गांव के बीचों-बीच बना मंदिर-मस्जिद है। ये दोनों एक ही परिसर में हैं। दीवार के साथ दीवार मिलती है। एक ही परिसर में मंदिर की घंटियां भी बजती हैं और मस्जिद में अजान भी।
90.61 प्रतिशत पुरुष और 73.30 प्रतिशत महिलाएं शामिल | Taimurpur Village
भारत की जनगणना 2011 की सूचना के मुताबिक गांव का लोकेशन कोड-061618 है। रोहतक जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूरी पर बसे इस छोटे से गांव तैमूरपुर की अपनी पंचायत है। यहां का भौगोलिक क्षेत्रफल 276 हेक्टेयर है। गांव की शिक्षा की बात करें तो यहां लिटरेसी रेट 82.78 प्रतिशत है। इसमें 90.61 प्रतिशत पुरुष और 73.30 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। शिक्षा का यह रेट बहुत अच्छा है। करीब 100 घरों यह गांव विकास की दृष्टि से भी अग्रणी है। गांव में धार्मिक सौहार्द की जो भावना है, वह बड़ा उदाहरण है। गांव के मंदिर और मस्जिद एक साथ बने हैं। मस्जिद में आज जहां अजान होती है, उसमें किसी समय गुरुबाणी भी होती थी। गांव में सिखों का एक ही घर था। रोजाना सुबह-शाम उसी इमारत में गुरुबाणी का पाठ होता था, जिसमें आज अजान होती है। ईद की नमाज अता होती है।
प्राचीन गांव है तैमूरपुर, पेशा है कृषि | Taimurpur Village
तैमूरपुर एक प्राचीन गांव है। यहां के निवासियों का मुख्य पेशा कृषि है। तैमूरपुर गांव में शिक्षा, पेयजल, सड़क और बिजली को लेकर काफी दिक्कतें झेली हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन मूलभूत सुविधाओं में काफी सुधार हुआ है। प्रकृति की गोद में यह गांव बसा है। चारों तरफ खेतों में हरियाली, शुद्ध वातावरण यहां सुखद अहसास कराता है। जैसे ही यहां सुबह होती है तो चारों तरफ पेड़ों पर पक्षियों की चहचहाट से स्वागत होता है। कोयल की मधुर कूक सुकून देती है। उगते सूरज की सुंदरता और आसपास खेतों की हरियाली, मीठी हवा का आनंद यहां की फिजां को बढ़ाता है। ग्रामीण स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन यापन करते हैं।
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ग्रामीण सामाजिक रूप से आपस में जुड़े हुए हैं। वे सहकारिता का जीवन जीते हैं। एक-दूसरे के सुख-दुख में भागीदार रहते हैं। तैमूरपुर गांव के ग्रामीणों की सामाजिक भावना इतनी प्रबल है कि एक के अतिथि को सभी का अतिथि मानकर आदर-सत्कार करते हैं। भले ही गांव की आबादी कम हो, लेकिन गांव की बहुत बड़ी विशेषता यह है कि यहां का भाईचारा मजबूत है। इन दिनों पंचायत चुनाव चल रहे हैं। चुनाव मैदान में कोई भी प्रत्याशी हो, लेकिन गली-मोहल्ले में घूमते हुए एक-दूसरे के सामने आने पर राम-राम, आदर-सत्कार करना नहीं भूलते।
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फोटो नंबर-01: रोहतक जिले के गांव तैमूरपुर में एक साथ बने मंदिर-मस्जिद।