स्वास्थ्य: उम्र के साथ किडनी धीरे-धीरे होने लगती है कमजोर

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नियमित रूप से कसरत करने से उम्र ढलने के साथ किडनी की क्षमता में कमी आने और उसमें गंभीर बीमारी होने का खतरा घट सकता है। कसरत से किडनी की बीमारी का खतरा घटता है या अगर ऐसा होता है तो कैसे होता है। मुमकिन है कि कुछ चीजें जो दिल को सेहत के लिए अच्छी है, वो किडनी के लिए भी अच्छी हों। किडनी की गंभीर बीमारी, डायबिटीज और दिल की बीमारियों के कुछ कॉमन फैक्टर हैं।

कसरत करने से डायबिटिज और दिल की बीमारी होने का खतरा घट जाता है, जो किडनी की बीमारी होने का जोखिम कम करता है। उम्र के साथ किडनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है, लेकिन हेल्दी लाइफ -स्टाइल वाले जिंदगी भर उसे दुरूस्त रख सकते हैं। किडनी की गंभीर बीमारी होने का खतरा धूम्रपान करने वालों, मोटापे के शिकार लोगों और किडनी की खानदानी समस्या वालों या दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों में ज्यादा रहता है। आमतौर पर व्यस्कों को हर हफ्ते कम से 150 मिनट की मॉडरेट इंटेसिटी वाले एरोबिक एक्टिविटी या 75 मिनट तक पसीना बहाने वाली कसरत करना चाहिए।

जांचें

अनेक मामलों में किडनी की बीमारी से ग्रस्त लोगों में उपर्युक्तलक्षण नहीं पाए जाते है। ऐसी अवस्था में कुछ जांचों से बीमारी का पता चल सकता है। जैसे कि खून में यूरिया और क्रिएटिननि के स्तर का बढ़ना। डायबिटिज के रोगियों की पेशाब की जांच भी करायी जाती है। किडनी की कार्य करने की क्षमता में कमी आने से संबधित जांच करना। किडनी का अल्ट्रासाउंड। इस जांच से पता चलता है कि किडनी का साइज छोटा तो नहीं है और पेशाब में रूकावट का कारण क्या है?
इन विकल्पों का करें चयन: जब किडनी पूरी तरह खराब हो जाती है, तो इन विकल्पों में से एक का चयन नेफ्रोलॉजिस्ट के परामर्श से करे।

डायलिसिस: जिसमें हफ्ते में आवश्यकता के अनुसार दो बार मशीन से खून साफ किया जाता है।

किडनी ट्रांसप्लांट: इसमें एक नई किडनी (जो कि दानदाता या डोनर के द्वारा दी जताी है) को मरीज के शरीर में प्रत्योपित कर दिया जाता है। इसके बाद डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ती वर्तमान दौर में किडनी ट्रांसप्लांट एक अच्छा इलाज है, जिसके बाद मरीज आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है।

ऐसा हो खान-पान: किडनी की समस्या से पीड़ित

लोगों को अपने खान-पान पर ध्यान देना जरूरी है।

प्रोटीन: हालांकि किडनी रोगियों की डायलिसिस से पहले की अवधि के दौरान प्रोटीन का कम से कम सेवन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन डायलिसिस के दौरान उन्हें अधिक प्रोटीन का सेवन करने के लिए कहा जाता है। डायलिसिस के दौरान कुछ मात्रा में प्रोटीन निकल जाता है और इसलिए डायलिसिस कराने वाले रोगियों की डायलिसिस नहीं कराने वाले व्यक्तियों की तुलना में अधिक प्रोटीन का सेवन करने की आवश्यकता होती है। प्रोटीन की सही मात्रा का सेवन करने से डायलिसिस के रोगियों को फिट रहने में मदद मिलेगी क्यों अपर्याप्त प्रोटीन के सेवन से वजन कम हो सकता है, मांसपेशियां कमजोर हो सकती है। प्रोटीन दही, दूध और पनीर जैसे अधिकांश डेयरी उत्पादों में पाया जाता है।

सोडियम: किडनी मरीजों को अपने आहार में सोडियम की मात्रा को सीमित रखना चाहिए। प्रतिदिन 2 ग्राम से अधिक नमक नहीं खाना चाहिए। खाद्य पदार्थों में ऊपर से नमक न डालें। सोडियम के अधिक सेवन से आप अधिक प्यास महसूस करेंगे और अधिक पानी पीने की इच्छा होगी। किडनी की बीमारी में सोडियम का कम सेवन करने से मरीज को राहत मिलती है। डिब्बाबंद और पैकड खाद्य पदार्थ न खाए।

फॉस्फोरस: किडनी के मरीजों को फॉस्फोरस कम लेना चाहिए। फॉस्फोरस मक्का, बाजरा, दुग्ध उत्पादों और छिलके वाले अनाजों में पाया जाता है। इनका सेवन नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को किडनी से संबंधित समस्या है, उन्हें एक से डेढ़ लीटर पानी पीना चाहिए कोल्ड ड्रिक्स से परहेज करें। किडनी के मरीजों के लिए सेब, पपीता व अमरूद लाभप्रद है। डॉ.

-सुदीप सिंह सचदेव

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