बौद्धिक संपदा अधिकार का शिक्षाविदों के लिए विशेष महत्व: प्रो. पुनिया

VC Prof. Bijendra Punia

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन| VC Prof. Bijendra Punia

रोहतक(सच कहूँ न्यूज)। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. बिजेन्द्र पुनिया(VC Prof. Bijendra Punia) ने इस कार्यशाला का द्वीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार का विशेष रूप से शिक्षाविदों के लिए विशेष महत्त्व है।

उन्होंने कहा कि प्राध्यापकों तथा वैज्ञानिकों को बौद्धिक संपदा अधिकार क्षेत्र में प्रो-एक्टिव होना होगा। उच्चतर शिक्षण संस्थान बौद्धिक संपदा के खजाना हैं। जरूरत है कि इस बौद्धिक संपदा का संरक्षण भी किया जाए तथा समाज एवं मानव कल्याण में इसका उपयोग किया जाए। मुख्य वक्ता गुरू गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की यूनिवर्सिटी स्कूल आफ लॉ एण्ड लीगल स्टडीज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लिसा पी. लुकोस ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार मानव मस्तिष्क की अप्रतिम रचना है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय बौद्धिक गतिविधियों, शोध, नवोन्मेष एवं सृजनात्मकता के सक्रिय केन्द्र होते हैं, परंतु कई बार जागरूकता के अभाव में नवोन्मेषी उत्पाद एवं विचार का संरक्षण वैधानिक तरीके से नहीं हो पाता। ऐसे में आईपीआर की जागरूकता बहुत जरूरी है। प्रो. लिसा लुकोस ने नवोन्मेषी संस्कृति विकसित करने का आह्वान किया। इस अवसर पर प्रो. हरीश दुरेजा, डॉ. प्रमोद मलिक, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. गुलशन लाल तनेजा, प्रो. भगत सिंह, प्रो. अंजना गर्ग, प्रो. आशीष दहिया, मौजूद रहे।

 

राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ करते कुलपति।

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