ट्विनिंग प्रोग्राम: अब कम खर्च में फॉरेन यूनिर्वसिटी से कर सकते हैं डिग्री

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स्टूडेंट्स को विदेशी कल्चर का अनुभव (Twinning Program)

यदि आप कम खर्च में विदेश यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं तो ट्विनिंग प्रोग्राम आपके लिए काम की योजना है। इसके तहत एक भारतीय और एक विदेशी यूनिवर्सिटी की आपस में सांझेदारी होती है। स्टूडेंट्स अपने कोर्स के कुछ हिस्से की पढ़ाई भारत के कॉलेज में और शेष हिस्से की पढ़ाई विदेश के कॉलेज में करते हैं।(Twinning Program) उदाहरण के तौर पर इंजीनियरिंग के प्रोग्राम में स्टूडेंट दो साल की पढ़ाई देश में और बाकि फॉरेन यूनिवर्सिटी में कर सकते हैं। इस तरह विदेश में पढ़ाई करने का खर्च भी आधा हो जाता है और स्टूडेंट्स को विदेशी कल्चर का भी अनुभव मिलता है।

  • पिछले कुछ सालों में बेशक विदेश में पढ़ रहे भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या में बढ़ोतरी आई है।
  • अभी भी विदेश में पढ़ाई करना काफी महंगा साबित होता है।
  • जिस वजह से कई भारतीय एजुकेशन लोन लेते हैं।
  • विदेश में पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करते हैं या भारत में ही अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं।
  • ऐसे में 90 के दशक में शुरू हुए ट्विनिंग प्रोग्राम का चलन एक बार फिर से बढ़ रहा है।

क्या है ट्विनिंग प्रोग्राम?

ट्विनिंग प्रोग्राम के तहत स्टूडेंट को अपने कोर्स के कुछ साल की पढ़ाई भारत में और कुछ साल की पढ़ाई विदेशी पार्टनर यूनिवर्सिटी में करनी होती है। उदाहरण के तौर पर यूएस में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम चार साल का होता है वहीं भारत में कई अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम तीन साल के होते हैं।(Twinning Program) इस तरह स्टूडेंट भारत में अपने तीन साल का कोर्स खत्म कर यूएस में एक साल की पढ़ाई कर सकते हैं। ऐसे ही मणिपाल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल ट्विनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत स्टूडेंट को अंडरग्रेजुएशन के दो साल मणिपाल यूनिवर्सिटी में और दो साल  पार्टनर यूनिवर्सिटी में पढ़ना होता है। 

मान्यता प्राप्त विदेशी यूनिवर्सिटीज से मिल सकती है इंजीनियरिंग की डिग्री

कोर्स खत्म होने पर आपको यूएसए, यूके, कनाडा आदि की यूनिवर्सिटीज से डिग्री मिलती है हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप जिस यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे है उसकी साझेदारी किस विदेशी यूनिवर्सिटी से है। इसके साथ ही साझेदारी के दौरान ये भी तय किया जाता है कि कोर्स के पूरा होने पर आपको डिग्री कौन सी यूनिवर्सिटी भारतीय या विदेशी यूनिवर्सिटी देगी। इसलिए एडमिशन लेते समय यह जरूर देख लें।

औसतन 40 प्रतिशत तक कम हो जाता है खर्च

विदेश में चार साल का अंडरग्रेजुएट कोर्स करना काफी खर्ची ला होता है। वहीं अगर आप ट्विनिंग प्रोग्राम में एडमिश न लेते हैं तो यह दो हिस्सों में बंट जाता है, जिसमें से आधा समय विदेश में और आधा भारत में देना पड़ता है। इस स्ट्रक्चर के चलते विदेश में पूरा कोर्स करने के खर्च में लगभग 40 तक की कमी आ जाती है।

मिलती है ग्लोबल प्लेसमेंट अपॉर्च्युनिटी

  • स्टूडेंट्स फॉरेन यूनिवर्सिटीज के जॉब फेअर्स में हिस्सा ले सकते हैं। इस तरह स्टूडेंट्स को ग्लोबल प्लेसमेंट अपॉर्च्युनिटी मिलती है।
  • वीआईटी- स्टेट यूनिर्वसिटी ऑफ न्यूयॉर्क, आॅस्ट्रेलियन नेशनल यूनिर्वसिटी जैसी 250 से भी ज्यादा विदेशी यूनिर्वसिटी के साथ साझेदारी की है।
  • एसआरएम यूनिर्वसिटी: यूनिर्वसिटी ऑफ पिट्सबर्ग, यूनिर्वसिटी ऑफ न्यूसाउथ वेल्स जैसी 17 विदेशी यूनिर्वसिटी के साथ साझेदारी की है।
  • मणिपाल यूनिर्वसिटी: फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसी 111 विदेशी यूनिर्वसिटी के साथ साझेदारी की है।
  • एसआर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-यूनिर्वसिटी आॅफ मैसाचुसेट्स।
  • गांधीनगर इंस्टी ट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-डी मोंटफोर्ट यूनिर्वसिटी, लीसेस्टर यूके।
  • इंस्टी ट्यूट ऑफ होटल मैनेजमैंट-यूनिर्वसिटी ऑफ हडर्स फील्ड यूके।
  • अंसल टेक्नि कल कैम्पस- वालपराइसो यूनिर्वसिटी।

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