बठिंडा व मानसा जिले के करीब 500 ग्रामीण डाक सेवक मांगों को लेकर हड़ताल पर

Rural Mailers Strike

ग्रामीण डाकियों की हड़ताल से लगी जिंदगी पर ब्रेक | Rural Mailers Strike

बठिंडा(अशोक वर्मा)। ग्रामीण डाक सेवकों की हड़ताल(Rural Mailers Strike)ने गांवों में जिंदगी को रोक कर रख दिया है। अकेले बठिंडा जिले में लोगों की हजारों की तादाद में चिट्ठियां डाक, पार्सलों, पासपोर्टों, मनीआर्डरों व अन्य अहम दस्तावेज रद्दी बन कर रह गए हैं। बठिंडा व मानसा जिले के करीब 500 ग्रामीण डाक सेवक अपनी, मांगों की प्राप्ति के लिए अनिश्चित समय की हड़ताल पर चले गए हैं।

इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के डाक घरों में ताले लगने से ग्रामीण डाक सेवा मुकम्मल तौर पर ठप्प हो गई है। अपने कागजों पत्रों व डाक के लिए लोगों ने शहरी केन्द्रों में आना शुरू कर दिया है। शहरी या मुख्य डाक घरों के कर्मचारी डाक व अन्य सामान देने से इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह किसी को जानते नहीं इसलिए अहम दस्तावेजों या कागज पत्रों को बिना जान पहचान किसी दूसरे के हवाले करना मुश्किल है।

चिट्ठियां व अन्य जरूरी कागज पत्र बनने लगे रद्दी | Rural Mailers Strike

आज मानसा जिले से दर्शन सिंह व गुरदयाल सिंह अपने परिवार के पासपोर्टों का पता करने आए थे जिनका उनको कोई पता नहीं चला है। उन्होंने कहा कि यदि पासपोर्ट न मिले तो उनकी लड़कियों के वीजा लगने की तारीख बीत जाएगी, जिसका उन्हें बड़ा नुकसान बर्दाश्त करना पड़ेगा। इसी तरह ही बठिंडा शहर में से भी दो परिवारों की मजबूरी पासपोर्ट बना दिखाई दिया।

एक युवक अपनी जरूरी डाक संबंधी जांच कर रहा था जबकि दो लड़कियों के रोल नंबर अटके होने बारे कह रही थी। महिला गुरनाम कौर ने कहा कि उन्होंने बचत खाते में से पारिवारिक जरूरतों के लिए कुछ पैसे निकलवाने थे परंतु हड़ताल ने काम खराब कर दिया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार को हड़ताल के मद्देनजर परिवर्तनीे प्रबंध करने चाहिए।

प्रतिदिन दर्जनों लोग अपनी अपने काम धंधों के लिए भटकते फिर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इस हड़ताल के कारण सिर्फ आम लोगों की मुश्किलें ही नहीं बढ़ी बल्कि सरकारी खजाने को भी रगड़ा लग रहा है। डाक विभाग के बचत खाते, रिजर्व डिपॉजिट, पोस्टल लाईफ इंशौरैंस व पोस्टल पेमेंट बैंक में पैसे जमा नहीं हो रहे हैं।

एक अनुमान अनुसार बठिंडा सांसदीय हलके में इन योजनाओं के रुकने कारण प्रतिदिन की पांच से दस लाख का नुक्सान हो रहा है। वहीं ग्रामीण डाक सेवकों की प्रतिक्रिया थी कि बेशक इन्टरनेट कारण पूरा विश्व एक मुट्ठी में आ गया है परंतु सरकारी नीतियों ने डाक कर्मचारियों को परेशान कर दिया है। उन्होंने कहा कि हड़ताल उनकी मजबूरी बनी है, नहीं तो ठंड दौरान ठंडी सड़कों पर बैठने का उनको कोई शौक नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार को जगाने के लिए वह रविवार को थालियां बजाएंगे।

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