मुंह चिढ़ा रही जलभराव से बचने की तैयारियां

Preparations to avoid mouth-watering irrigation

अपील। बैठकें तो बहुत हो चुकी, अब कुछ काम भी कर लो साहब…

  • गंदगी से अट कर बंद पड़े हैं शहर के नाले

  • एक्सप्रेस-वे, खांडसा रोड का सबसे बुरा हाल

संजय कुमार मेहरा/सच कहूँ  गुरुग्राम। बैठकें तो बहुत हो चुकी हैं, अब कुछ काम भी कर लो। काम को लेकर दावे तो खूब किए जा रहे हैं। शहर की कायापलट की बात कही जा रही है, लेकिन कायापलट कैसे और कब होगी, इसका कोई निर्धारित समय नहीं है। यही कारण है कि साल-दर-साल बरसात के मौसम में मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में जलभराव होना ही होना है। गुरुग्राम में अधिकारी जितनी बैठकें करते हैं, उस हिसाब से काम नहीं कर रहे।  गुरुग्राम में इसी माह यानी 29 जुलाई 2016 को भारी बरसात के बाद 18 घंटे का महाजाम लगा था।

देश और विदेश में मिलेनियम सिटी गुरुग्राम की खूब किरकिरी हुई थी। राज्य और केंद्र सरकार तक हिल गई थी। गुरुग्राम के साथ देश की राजधानी दिल्ली में भी उस जाम का सीधा असर पड़ा था। दिल्ली और हरियाणा की सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करती नजर आई। खैर, उस जाम से सबक लेने की सबने बात कही। केंद्र सरकार की सीधी नजर गुरुग्राम की उन मूलभूत समस्याओं पर टिकी, जिनके कारण जाम जैसी समस्या उत्पन्न हुई। उसके बाद कई बड़े प्रोजेक्ट यहां शुरू किये गये और कई पूरे भी हो चुके हैं। इनमें यहां के अंडरपास प्रमुख हैं। सामान्य तौर पर जाम की समस्या से काफी छुटकारा मिला है, लेकिन बरसात के कारण यहां जलभराव से अभी तक छुटकारा नहीं मिल पाया है।

  • बैठकों में हुए आदेशों को ठेंगा

चंडीगढ़ से गुरुग्राम आकर अक्सर वरिष्ठ अधिकारी यहां जिला प्रशासन, नगर निगम, जीएमडीए, एनएचएआई के अधिकारियों के साथ मानसून में जलभराव को लेकर कई बार बैठकें कर चुके हैं। साथ ही सख्त आदेश दे चुके हैं कि किसी भी सूरत में अब जलभराव नहीं होना चाहिए। लेकिन शहर के नाले अब भी गदंगी से अटे पड़े हैं, लेकिन सफाई के नाम पर सिर्फ इतिश्री कर दी जाती है।

  • खांडसा रोड के नालों की हालत खस्ता

हमने शुक्रवार की सुबह जब खांडसा रोड के नाले की निरीक्षण किया तो वहां वह सब नहीं मिला, जो बैठकों में अधिकारी दावे करते हैं। यानी उनके दावे कुछ और यथार्थ कुछ था। या तो नाले पूरी तरह से मिट्टी और गंदगी से अटे पड़े मिले, या फिर नाले क्षतिग्रस्त मिले। वहां के दुकानदारों ने जिम्मेदारी के साथ यह बात कही कि वे मीडिया में पढ़ते, सुनते जरूर हैं कि नालों की सफाई होगी, लेकिन कब होगी यह नहीं पता लगता। उनका भी यही आरोप है कि यहां पर नालों की सफाई हुये वर्षों बीत चुके हैं। जब बरसात आती है तो नालों की गंदगी बहकर सड़कों, दुकानों व घरों तक पहुंच जाती है।

  • हीरो होंडा चौक के पास भी बुरा हाल

बरसात में जलभराव के लिए बदनाम हीरो होंडा चौक पर जलभराव न होने और नाले की सफाई के खूब दावे किये गये हैं, लेकिन काम वहां भी नहीं हुआ है। हमने हीरो होंडा चौक से लघु सचिवालय तक नाले की सफाई देखी। सफाई के नाम पर कुछ खास नहीं हुआ था। यहां अंडरपास के पास से हीरो होंडा चौक तक नाला पूरी तरह से गंदगी से अटा पड़ा है। दो जगह से तो टूटा हुआ है। इस कारण गंदगी नाले से निकलकर बाहर आ गई, जिससे वहां दलदल बन गई। गलती से अगर कोई पशु वहां चला जाये तो निकलना मुश्किल हो जाये।

  • मंत्री जी बैठो नहीं दौरे करते रहो…

अधिकारी काम तो करते हैं, लेकिन डंडे के बल पर। यह बात हम नहीं बल्कि खुद यहां के अधिकारियों ने साबित की है। पिछले दिनों यहां बहरामपुर रोड पर नाले से निकलने वाली गंदगी का मामला खूब उछला था। उस पर मंत्री राव नरबीर सिंह ने भरी दोपहरी में वहां मौका देखा और अधिकारियों को दो दिन का समय देकर स्थिति ठीक करने को कहा। दो दिन बाद फिर से मंत्री जी वहां जा पहुंचे। उन्होंने वहां पर किये गये कार्य से असंतुष्टि जाहिर करते हुये ठीक से काम करने की हिदायत दी। तब जाकर वह काम सही हो पाया। स्थानीय लोगों की मांग है कि मंत्री जी वहां का दौरा करें ताकि अधिकारी उनकी समस्याओं का समाधान कर दें।

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करे।