फूलों से खेलें होली, न करें जल बर्बाद

Holi with Flowers

Holi with Flowers | लोग बोले, खुशियों के रंग एवं भाईचारे का प्रतीक है होली

असंध(सच कहूँ/राहुल )। भारत देश मे अनेकों संस्कृतियों का समावेश माना जाता है जहां कई विचारधाराओं एवं मान्यताओं के आधार पर अलग-अलग त्यौहार मनाएं जाते हैं। भारत में हर त्यौहार के मनाएं जाने का अपना ही अलग अंदाज है। (Holi with Flowers)ऐसा ही एक त्यौहार है होली जो कि खुशियों के रंग एवं भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। होली को हर धर्म के लोग पूरे उत्साह एवं मस्ती के साथ मनाते हैं।

  • प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर संप्रदाय व जाति के बंधन तोड़कर भाईचारे का संदेश देता है।
  • इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर खुशिया मनाते हैं।

लेकिन रंग की होली खेलने के बाद कई बार आँखों में जलन, त्वचा का लाल पड़ना ओर बालों का झड़ना जैसी स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलों से जूझना पड़ जाता है। इसका मुख्य कारण यह है होली को गलत एवं असुरक्षित तरीकों से खेलना। ऐसे में क्षेत्र के समाजसेवियों ने दैनिक सच कहूँ ( sachkahoon.com )के साथ लोगों से अबकी बार सुरक्षित होली (Holi with Flowers)खेलने की अपील करते हुए अपने विचार सांझा किए।

  • पुराने समय की बात की जाए तो लोग होली के अवसर पर प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते थे।
  • आधुनिक समय मे देखे तो कैमिकल युक्त रंगों से बाजार सटे दिखाई पड़ते हैं।
  • कैमिकल युक्त रंग मानव शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं।
  • बावजूद इसके भी लोग आँख बंद करके इनका प्रयोग कर रहे हैं।

होली पर्व पर बुराइयों को छोड़ने का लें प्रण

समाजसेवी दीपक पाल और जजपा के जिला कार्यकारिणी अध्यक्ष नवाब फफड़ाना आदि ने बताया कि यह त्यौहार उत्साह, उमंग और उल्लास के साथ आपसी भाईचारे के रूप में मनाया जाता है। होली में रंग गुलाल उड़ाने के साथ जल की महत्ता को भी ध्यान मे रखना जरूरी है। जल है तो कल है, जल वो अनमोल पदार्थ है जिसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, इसलिए इसे व्यर्थ न बहाएं।

उन्होंने कहा कि जल संसाधनों की कमी को देखते हुए प्राकृतिक रंगों व फूलों और उनकी पंखुड़ी से ही होली मनाएं। उन्होंने कहा कि त्यौहारों के शुभ अवसर पर अक्सर लोग नशे आदि करके हुड़दंग बाजी करते हैं। यह हमारी भारतीय संस्कृति के बिल्कुल विरूद्ध है। यह अवसर बुराई त्यागने के लिए होते हैं न कि बुराईयों को ग्रहण कर समाज को कलंकित करने के लिए। इसलिए युवाओं को चाहिए कि अपने आस-पास माहौल को खराब न होने दे।

होली खेलने के दौरान पशुओं का भी रखें ध्यान: डॉ. जितेंद्र

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुमार ग्रोवर ने कहा कि होली के त्यौहार के अवसर पर हम सबको जाति धर्म से ऊपर उठकर व सभी आपसी मतभेदों को भुलाकर रंगों के इस त्यौहार को बड़े प्यार व सोहार्द के साथ मानना चाहिए। साथ ही उन्होंने जनसाधारण से अपील करते हुए कहा कि रंगों के इस त्यौहार पर अपने पालतू पशुओं पर रंग व गुलाल न लगाएं।

पशु आदतन खुद को चाटते हैं और यदि वे रंगों को चाटते हैं तो यह रसायन है जो कि पेट की बीमारियों और अन्य बीमारियों का कारण बन सकते हैं। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। रंगीन पानी से त्वचा में संक्रमण हो सकता है और पशु की आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है।

होली मनाने के पीछे ये है पौराणिक कथा

होली का त्योहार मनाने के पीछे पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व को मनाने की शुरूआत हिरण्यकश्यप के समय से होना मानी जाती है। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे। इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए लेकिन असफल रहे।

भक्त प्रह्लाद भी प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए। अंत में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। परन्तु भगवान की ऐसी कृपा हुई कि होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए। तभी से इस पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हुई।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।