सीएसआर में औद्योगिक प्रतिष्ठानों की भागीदारी

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क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में देश में उपलब्ध जल स्रोत का एक प्रतिशत ही जल होने और दो तिहाई हिस्सा रेगिस्तानी होने से प्रदेशवासियों को शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध कराना सरकार के सामने बड़ी चुनौती रही है। पहले से ही पानी की कम उपलब्धता के बावजूद पानी के अत्यधिक दोहन से भूमिगत जल स्तर में निरंतर गिरावट के कारण प्रदेश का अधिकांश हिस्सा डार्क जोन में आया हुआ है। हांलाकि मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तीन चरणों में जिस तरह से जल संरक्षण के योजनावद्ध प्रयास किए गए हैं उनके सकारात्मक प्रयास सामने आने लगे हैं। इन्द्रा गांधी नहर के साथ ही नर्मदा और यमुना का जल राजस्थान में लाने के ठोस प्रयासों का परिणाम है कि प्रदेश में पानी की उपलब्धता बढ़ी है।

सबसे अच्छी बात है कि जल संरक्षण और प्रदेशवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मुहिम में प्रदेश के औद्योगिक प्रतिष्ठान आगे आए हैं और सोशल कारपोरेट रेस्पांब्लिटी निभाते हुए अपने कार्यक्षेत्र व आसपास के इलाकों में पीने योग्य पेयजल उपलब्ध कराने में सरकार के साथ कंधा से कंधा मिलाकर भागीदार बन रहे हैं। इस पुनीत कार्य को अमली जामा पहनाने में राजस्थान का उद्योग एवं सीएसआर विभाग समन्वयक की भूमिका निभाते हुए उत्प्रेरक का कार्य कर रहा है।

उद्योग व राजकीय उपक्रम मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत समय-समय पर औद्योगिक प्रतिष्ठानों से सीधा संवाद कायम करते हुए सीएसआर गतिविधियों को विस्तारित कराने का प्रयास करते रहे हैं। राज्य सरकार के सीएसआर विभाग द्वारा दो सीएसआर समिटों का आयोजन कर औद्योगिक घरानों की सीएसआर में हिस्सेदारी बढ़ाने के सकारात्मक प्रयास किए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरुप और आयुक्त उद्योग व सीएसआर कृष्ण कुणाल द्वारा सीएसआर गतिविधियों को और अधिक विस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं इससे राज्य में सीएसआर गतिविधियों को और अधिक बढ़ावा मिल सकेगा।

सीएसआर समिट के दौरान सीएसआर में उल्लेखनीय कार्य करने वाली कंपनियों को राज्य स्तर पर सम्मानित करने के साथ ही परस्पर समन्वय और सहयोग का वातावरण तैयार किया गया है। राज्य में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने व जल संरक्षण कार्यों में केयर्न इण्डिया, अंबुजा सीमेंट, बॉस्क, जेके टायर, राजस्थान स्पिनिंग व विविंग मिल्स, हिन्दुस्तान जिंक, इण्डिया सीमेंट, इनटेक फार्मा, न्यूक्लियर पावर, इण्डियन आॅयल सहित कई औद्योगिक संस्थाआें द्वारा अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए उल्लेखनीय योगदान दिया जा रहा है। केयर्न इण्डिया द्वारा तो बाड़मेर जिले में करीब 100 करोड़ की लागत की 2022 तक संचालित होने वाली परियोजना का संचालन किया जा रहा है।

जीवन अमृृत परियोजना: जल स्तर का अत्यधिक नीचे होना और उपलब्ध पानी में 3000 तक टीडीएस होने के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पानी की स्थिति में बाड़मेर जिले के नागरिकों को पीने के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए केयर्न इण्डिया आगे आई है। राज्य सरकार के सहयोग व समन्वय के साथ केयर्न इण्डिया जनवरी, 15 से मार्च 22 तक की 100 करोड़ की लागत की परियोजना पर काम करते हुए जीवन अमृृत योजना का संचालन कर रही है। जीवन अमृत योजना का मुख्य उद्देश्य जिले के वाशिंदों को उनके निवास के एक किमी के दायरें में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है।

बाड़मेर जिला बड़ा होने और दूर-दूर ढ़ाणियों में आबादी बसे होने से जल की उपलब्धता अधिक चुनौती पूर्ण होने के बावजूद बाड़मेर के 800 गांव ढ़ाणियों में रहने वाले लोगों तक शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। 330 आरओ प्लांट लगाकर पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इसके साथ ही जल रथ के माध्यम से भी पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। इनका संचालन भी स्थानीय ग्रामीणों की सहभागिता से किया जा रहा है।

जीवन अमृत प्रोजेक्ट के माध्यम से शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के साथ ही जलजनित बीमारियों की रोकथाम संभव हो पाई है। बाड़मेर जिले के नागरिकों के लिए जीवन अमृृत परियोजना वरदान सिद्ध हो रही है। हिन्दुस्तान जिंक द्वारा उदयपुर में सीपीटी लगाने के साथ ही उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, चितोडगढ़ आदि जिलों में वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चरों के निर्माण के साथ ही एनिकटों का निर्माण कराकर पेयजल की उपलब्धता सुनिष्चित करने का कार्य किया जा रहा है।

आरओ प्लांट: जयपुर के आसपास सांगानेर व बस्सी तहसील के फ््लोराइड प्रभावित गांवों में बॉस्क कंपनी द्वारा आरओ प्लांटस लगाने की पहल की गई है। बॉस्क द्वारा पहला आरओ प्लांट गोनेर में लगाया गया।

सीएसआर के तहत बॉस्क द्वारा गोनेर के बाद श्रीराम की नांगल, सिरोली, भूरथल, मोहनपुरा, वाटिका, विधानी, अषवाला, मुहाना और सांभरिया मं आरओ प्लांट के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने की पहल की जा रही है। करीब डेढ़ करोड़ की परियोजना में 50 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है। इंटेक फार्मा द्वारा पाली के बर पुलिस चैकी और कस्तूर बा रेजिडेंषियल स्कूल में आरओ सिस्टम उपलब्ध कराया है। इण्डियन आॅयल कॉरपोरेशन द्वारा सीएसआर के तहत जयपुर के सेठ आनंदी लाल मूक बधिर विद्यालय में बोरबेल लगाया है।

न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन आॅफ इण्डिया द्वारा चितोडगढ़ के जुझाला, लसाना, रतनपुरा, मंडेसरा, खलगांव, चेनपुरा, बहेलिया, कोलपुरा, नाली, फूटपाल, डांगडमउ खुर्द, गणेशपुरा और दूध तलाई आदि गांवों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वाटर टेंक, वोरवैल, पंपिंग व्यवस्थाएं सुनिष्चित की गई है। इसी तरह से बांसवाड़ा के तलवारा ब्लाक के नोखला में फ्लोरिस के दुष्प्रवाह से रोकने के लिए पेयजल और अवेयरनेस कार्यक्रम चलाया गया है। बांसवाड़ा के ही घाटोल, थाना, हुरडा सेजा आदि गांवों में राजस्थान स्पिनिंग एवं विविंग मिल्स द्वारा अन्य कार्यों के साथ ही पेयजल की उपलब्धता सुनिष्चित की गई है।

अंबूजा सीमेंट राजस्थान में एसीएफ द्वारा सषक्त जल प्रबंधन अभियान में पाली के राबड़ियावास, नागौर के मारवाड़ मूंडवा और झुंझुंनू के चिडावा इलाके के 150 गांवों में अभियान चलाया जा रहा है। एसीएफ द्वारा चलाए जा रहे अभियान से लाखों किसानों को पीने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्धता बढ़ी है।

जेके टायर एण्ड इण्डस्ट्रीज सेवा मंदिर के तहत पंचायत सचिव, सरपंच, अध्यापकों और ग्रामीणों से समन्वय बनाते हुए वाटर टेंक, हैण्डपंपों की रिपेयरिंग, जल वितरण के लिए पाइप लाइन व्यवस्था आदि में सहयोग किया जा रहा है। देश के अन्य हिस्सों में भी जल संरक्षण व शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में औद्योगिक प्रतिष्ठानों को आगे आने की पहल करनी होगी ताकि सबको शुद्ध पेयजल मिल सके।

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

 

 

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