कुलभूषण केस : बेटी बांसुरी ने निभाया माँ सुषमा का वायदा

Kulbhushan case: Daughter flute fulfills mother Sushma's promise

जाधव को पाकिस्तान ने जासूसी का झूठा आरोप लगाकर
किया था गिरफ्तार | (Kulbhushan case)

  • वकील हरीश साल्वे को दी एक रुपया फीस

नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी ने अपनी माँ का वादा निभाया है। (Kulbhushan case) अपनी मौत से चंद घंटे पहले सुषमा ने वकील हरीश साल्वे को फोन कर कहा था कि घर आओ अपनी 1 रुपए की फीस ले जाओ। लेकिन, उसी दिन 6 अगस्त को सुषमा स्वराज का निधन हो गया था। वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव केस को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लड़ने के लिए महज एक रुपए की प्रतीकात्मक फीस ली थी।

  • स्वराज कौशल ने एक ट्वीट करके बताया ‘सुषमा स्वराज, बांसुरी ने आज तुम्हारी अंतिम इच्छा को पूरा कर दिया है।
  • कुलभूषण जाधव के केस की फीस का एक रुपया जो आप छोड़ गर्इं थीं उसने आज हरीश साल्वे को भेंट कर दिया है।’
  • अप्रैल 2017 में जब कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी,
  • उस वक्त सुषमा स्वराज ही भारत की विदेश मंत्री थीं।

कुलभूषण जाधव को 29 मार्च 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था। (Kulbhushan case)

इस फैसले के अगले ही दिन उन्होंने संसद के दोनों सदनों में जाधव को निर्दोष अगवा((Kulbhushan case) भारतीय बताते हुए उसे बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने की बात कही थी। कुलभूषण को पाक की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप पर मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने मई 2017 में आईसीजे के सामने यह मामला उठाया था। पाकिस्तान पर जाधव को काउंसलर न मुहैया करवाने का आरोप लगाया। भारत ने जाधव के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के ट्रायल को भी चुनौती दी।

जब तक वह ऐसा नहीं करता तब तक जाधव की सजा
निलंबित रहेगी। (Kulbhushan case)

अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) ने इस साल जुलाई में कुलभूषण जाधव मामले में भारत के (Kulbhushan case) पक्ष में फैसला सुनाया। आईसीजे ने पाक को निर्देश दिया था कि वह पहले जाधव से बातचीत के लिए भारत को कॉन्स्युलर एक्सेस दे।  इस फैसले के एक दिन बाद ही पाक ने आईसीजे की शर्तों को मान लिया और कुलभूषण को कॉन्स्युलर एक्सेस देने पर सहमति जताई है। वकील हरीश साल्वे ने इस पूरे केस को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लड़ने के लिए सिर्फ एक रुपए फीस ली थी।

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