पराली जलाने व भू-जल को लेकर सरकार चिंतित, प्रगतिशील किसानों का मांगा साथ

ECONOMIC CRISIS

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पराली न जलाने वाले प्रगतिशील किसानों के साथ की मुलाकात, नए सुझाव मांगें | ECONOMIC CRISIS

  • किसानों से अपने अनुभवों को सांझा करने की अपील की
  • प्रगतिशील किसानों ने सरकार से सम्मानित करने की मांग रखी

चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। प्रदेश सरकार पराली जलाने को लेकर चिंतित है। सरकार द्वारा आए दिन कहीं (ECONOMIC CRISIS) न कहीं पराली नहीं जलाने को लेकर सेमीनार व जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि किसान वातावरण को दूषित नहीं करें। सोमवार को भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्द्र सिंह ने प्रदेश के प्रगतिशील किसानों के साथ मुलाकात की, जिन्होंने धान की पराली न जलाकर वातावरण की सुरक्षा के लिए बदलाव का आधार बननीं है। किसानों को पराली न जलाने के लिए शुरू की जागरूक मुहिम में शामिल होने का न्योता दिया।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों के ग्रुप के साथ बातचीत करते कहा कि वह (किसान) इस बदलाव के प्रमुख बनकर मानवता की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं जिनकी यह पहल प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि भूमि की उपजाऊ शक्ति को बचाने और प्राकृतिक स्त्रोतों की संभाल के लिए प्रगतिशील किसानों के अनुभवों को अन्य किसानों को भी ईस्तेमाल करना चाहिए।

किसान बूंद प्रणाली को अपनाएं | ECONOMIC CRISIS

  • भू-जल जो दिन-प्रतिदिन नीचे जा रहा है, को संभालने की जरूरत पर जोर देते मुख्यमंत्री ने कहा
  • कि यह किसान भाईचारे की जिम्मेदारी बनती है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए
  • पानी बचाकर रखा जाए नहीं
  • तो हमारा राज्य आने वाले समय में रेगिस्तान बन जायेगा
  • जिससे कृषि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी।
  • उन्होंने फसली विभिन्नता के साथ बूंद प्रणाली पर जोर देते हुए कहा कि पानी की
  • समस्या को बचाने का यह एकमात्र विधि है।
  • मुख्यमंत्री ने ऐसे किसानों की कोशिशों को विशेष तौर पर सराहा,
  • जिन्होंने उच्च शिक्षा और इंजनियरिंग करने के बाद कृषि को मुख्य पेशे के तौर पर अपनाया।
  • सीएम ने कृषि विभाग की उन कोशिशों की सराहा जिसमें वह किसानों को पराली न जलाने के लिए बड़े स्तर पर मुहिम चला रहे हैं।

किसानों को बड़े स्तर पर जागरूक करने की जरूरत पर दिया जोर |

उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से पिछले साल पराली जलाने के मामले में 10 प्रतिशत गिरावट आई थी और इस साल इसके ओर भी अच्छे नतीजे आएंगे। फतेहगढ़ साहब के गांव साधूगढ़ के किसान सुरजीत सिंह ने अपना अनुभव सांझा करते हुए बताया कि उसने फसलों के अवशेष को खेतों में आग लगाने को उस वक्त त्याग दिया था जब अभी मौजूदा आधुनिक कृषि मशीनरी और यंत्रों का रुझान प्रचलित नहीं था।

उन्होंने किसानों को बड़े स्तर पर जागरूक करने की जरूरत पर जोर दिया ताकि उन्हें पराली जलाने के दुप्रभावों के बारे में अधिक से अधिक अवगत करवया जा सके। तरनतारण जिला के गांव बुर्ज देवा के किसान गुरबचन सिंह ने हवा, पानी और मिट्टी की संभाल के संदेश का जिक्र करते हुए किसानों को 550वें प्रकाश उत्सव पर पराली नहीं जलाने की शपथ लेने की अपील की।

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