अत्यधिक बालू खनन से गिरता भूजलस्तर

Drops Excessive Sand Mining Groundwater levels

वर्तमान में किसी भी देश के विकास हेतु अर्थव्यवस्था को गति देना आवश्यक होता है। अर्थव्यवस्था को गतिशीलता प्रदान करने में आधारभूत संरचना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आधारभूत संरचना के अंतर्गत फ्लाईओवर, बाँँध,सेतु,सड़क आदि तत्व सम्मिलित है। ज्ञातव्य है कि सभी संरचनाओं के निर्माण में बालू की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके अतिरिक्त व्यावसायिक और गैर व्यावसायिक इमारतों के निर्माण में भी बालू एक महत्वपूर्ण घटक है। दरअसल बालू एक ऐसा तत्व है जो जल में घुलनशील नहीं होता है और सीमेंट के साथ मिलकर इमारतों, फ्लाईओवर आदि को मजबूती प्रदान करता है और मौसम की मार जैसे बरसात और आंधी से भी सुरक्षित रखता है, इसलिए भारत में आधारभूत संरचना के निर्माण से लेकर व्यावसायिक और गैर व्यावसायिक इमारतों का निर्माण होता है ।

समस्या यह है कि बालू के दोहन का स्त्रोत तो नदियां है और नदियों से पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन कर बालू का दोहन व्यापक पैमाने पर हो रहा है। ऐसे में नदियां अपना मूलस्वरूप खोती जा रही है। इसके अलावा भी नदी का एक महत्वपूर्ण कार्य है भूजलस्तर को बनाए रखना ,लेकिन कुछ वर्षों से जिस प्रकार नदियों से बालू का दोहन जारी है उससे कुछ नदियों में बालू समाप्त हो चुका है और कुछ में समाप्त होने के कगार पर है। जैसे झारखंड के गोड्डा जिले में स्थित कझिया नदी को देखा जा सकता है। अवैध खनन से इस नदी का अस्तित्व तो संकट में है साथ ही प्राणियों का अस्तित्व भी संकट में है इसलिए कझिया को बचाने के लिए गोड्डा में लोग आंदोलन कर रहे है।

दरअसल अवैध खनन के फलस्वरूप कझिया नदी बालू से महरुम हो चुकी है और सिंचाई और पेय जल के समक्ष संकट उत्पन्न हो रहा है क्योंकि भूजल स्तर भी काफी नीचे जा चुका है। ऐसे में स्थानीय लोगों के समक्ष आंदोलन के अतिरिक्त कोई मार्ग शेष नहीं है। कुछ समय पूर्व कझिया नदी का एक ऐसा दृश्य दिखाई दिया जिसमें इस नदी के पानी में केवल पीली मिट्टी दिखाई दी। ऐसा लग रहा था कि यह नदी न होकर किसी गढ्ढे में जल को एकत्रित कर दिया गया है। ऐसे में यह पानी तो इस्तेमाल लायक था ही नहीं। जैसे केरल में भीषण बाढ़ के फलस्वरूप पानी तो चारों ओर था लेकिन इस्तेमाल लायक नहीं था।

ऐसा नहीं है कि भारत में अवैध खनन किसी एक राज्य ,एक नदी की समस्या है बल्कि लगभग सभी नदियां इसी संकट से जूझ रही हैं। यमुना नदी के संदर्भ में देखेंं तो यही स्थिति है। दिल्ली आने से पूर्व ही यमुना के पानी को बांध बनाकर रोका गया है जिसके कारण कई किलोमीटर तक यमुना में पानी ही नहीं है। ऐसे में यहाँ तो यमुना नदी के अंदर से बालू का अवैध खनन किया गया जिसके परिणामस्वरूप नदी में बालू नाममात्र भी नहीं है जिसके कारण यह इलाका पानी के संकट से जूझ रहा है और कृषि प्रभावित हो रही है।

बिहार के डेहरी आन सोन में सोन नदी भी अवैध खनन से प्रभावित हो रही है। ऐसा नहीं है अवैध खनन से कोई एक नदी प्रभावित है बल्कि अन्य नदियाँँ जैसे घाघरा ,गंडक ,यमुना,टोंंस आदि अवैध खनन से प्रभावित है। अवैध खनन से आश्य निर्धारित सीमा से ज्यादा बालू का खनन करना जो नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र से मनुष्यों द्वारा खिलवाड़ करना है ,लेकिन यह सोचने की आवश्यकता है कि हम नदियों को कुछ नहीं दे रहे हंै बल्कि उनसे ले रहे है। तो क्या नदियों से छेड़छाड़ कर मनुष्य अपने लिए संकट को निमंत्रण नहीं दे रहा है और साथ साथ उन पशु पक्षियों जो नदियों के जल को पेय जल के रुप में इस्तेमाल करते है उनके अस्तित्व को भी मनुष्य अपनी स्वार्थी नीति के कारण संकट में डाल रहा है।

ऐसे में आवश्यता है कि देश में आधारभूत संरचना और गैर आधारभूत संरचना के कंस्ट्रक्शन हेतु भारी मात्रा में बालू का प्रयोग हो रहा है । उसके स्थान पर वैकल्पिक तत्व की तलाश करनी चाहिए जिससे नदियों को बचाया जा सके। दूसरा अवैध खनन पर भी लगाम लगाना चाहिए क्योंकि इससे नदियों से कई गुना बालू निकाला जाता है। जिससें नदियों में या आसपास बालू दिखाई ही नहीं पड़ता है जिसके कारण नदी की जल को अवशोषित करने की क्षमता न के बराबर हो जाती है। इसका दुष्प्रभाव भूजलस्तर काफी नीचे चला जाता है ।

ज्ञातव्य है भारत में खेतों को जल पहुंचाने हेतु कई साधनों का प्रयोग किया जाता है जैसे तालाब ,नहर ,कुंआ,नलकूप आदि। उत्तर प्रदेश सरीखे राज्य में नलकूपों से अत्यधिक सिंचाई होती है। ऐसे में भूजल का स्तर नीचे जाने का अर्थ सूखे को निमंत्रण देगा। दूसरा भूजल के नीचे जाने का अर्थ पेयजल के समक्ष संकट उत्पन्न होना है क्योंकि आज भी भारत में ज्यादातर पेयजल हेतु जमीन के नीचे के जल को उपयोग में लाया जाता है। अत: आवश्यक है कि सरकारों और प्रशासन को इस मसले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि आने वाले संंकटो से लोगों को बचाया जा सके। अनीता वर्मा

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।