Chandrayaan-3: क्या ऑस्ट्रेलिया में चंद्रयान-3 का मलबा गिरा? जानें इस पर इसरो प्रमुख ने ये कहा…

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Chandrayaan-3 Mission Update: चंद्रयान-3 पर बहुत बड़ा अपडेट

chandrayaan 3 latest news: नई दिल्ली। भारत का चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान अपनी कक्षा बढ़ाने के लिए सिलसिलेवार तरीके से चंद्रमा की ओर अपनी घुमावदार यात्रा जारी रखे हुए है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया गया था और चंद्रमा की ओर अंतिम प्रक्षेपण से पहले यह धीरे-धीरे अपनी कक्षा को बढ़ा रहा है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि चंद्र अंतरिक्ष यान के प्रणोदन मॉड्यूल ने गुरुवार (20 जुलाई) को चौथी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया पूरी कर ली। इंजनों ने अंतरिक्ष यान के पृथ्वी के निकटतम दृष्टिकोण पर फायर किया, जिससे उसका अपभू, या उसकी कक्षा का पृथ्वी से सबसे दूर का बिंदु ऊपर उठा।

क्या ऑस्ट्रेलिया में गिर सकता है चंद्रयान-3 का मलबा | Chandrayaan-3

उधर ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी ने एक ट्वीट में कहा, ‘हम वर्तमान में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ज्यूरियन खाड़ी के पास एक समुद्र तट पर स्थित इस वस्तु के बारे में जांच कर रहे हैं। एजेंसी ने कहा, ह्यवस्तु किसी विदेशी अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान से संबंधित हो सकती है और हम वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ संपर्क कर रहे हैं जो अधिक जानकारी प्रदान करने में सक्षम हो सकते हैं। एजेंसी ट्वीट में कहा, ‘अगर समुदाय को कोई और संदिग्ध मलबा दिखता है, तो उन्हें स्थानीय अधिकारियों को इसकी सूचना देनी चाहिए और एस ाीएसीई.एमओएनआईटीओआरआईएनजी@एसपीएसीई.जीओवी.एयू के माध्यम से आॅस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी को सूचित करना चाहिए।

आॅस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, ‘हम मलबा शमन सहित बाहरी अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करना जारी रखेंगे। इस बीच अटकलें लगाई जा रही है कि आॅस्ट्रेलिया में मिला मलबा इसरो के पीएसएलवी प्रक्षेपण यान का हिस्सा हो सकता है। इसरो के सूत्र न तो इसकी पुष्टि की और न ही इससे इनकार किया कि ज्यूरियन खाड़ी के पास पश्चिमी आॅस्ट्रेलिया के समुद्र तट पर बहकर आई विशाल वस्तु उसके पीएसएलवी रॉकेट का हिस्सा है या नहीं। Chandrayaan-3

सूत्रों ने कहा, ‘इसे प्रत्यक्ष रूप से देखे बिना और इसकी जांच किए बिना कुछ भी नहीं कहा जा सकता (चाहे यह पीएसएलवी का मलबा है)। उन्होंने कहा, ‘हम इसे व्यक्तिगत रूप से देखे बिना और इसकी जांच किए बिना इसके बारे में किसी भी बात की पुष्टि या खंडन नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह तभी पता लगाया जा सकता है, जब आॅस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी उस वस्तु का वीडियो भेजेगी। सूत्रों ने कहा, ‘हमें यह देखना होगा कि क्या इस पर कोई निशान हैं। यदि आवश्यक हुआ, तो इसरो अधिकारी यह पुष्टि करने के लिए वहां जा सकते हैं कि यह भारतीय रॉकेट का है या नहीं। Chandrayaan-3

वैज्ञानिकों के अनुसार रॉकेट 170-180 कि.मी. के बाद इस काम खत्म हो जाता है। उसके सारे पार्टस नीचे गिर चुके होते हैं। सबसे पहले गिरता है स्ट्रप आॅन जो साइड में दो लगे होते हैं। पीएसएलबी में 5-6 लगे होते हैं। एसएलबी में नहीं होते हैं। जीएसएमएलबी एम के 2 में भी चार लगे होते हैं। जो एलवीएम-3 से पहले वाला रॉकेट है इसमें दो है जो कि पॉवरफुल है। ये समुंद्र में गिर जाते हैं।

रहस्यमय वस्तु के बारे में इसरो प्रमुख ने क्या कहा? Chandrayaan-3

वैज्ञानिक एस सोमनाथ ने बताया कि इसमें कोई रहस्य नहीं है कि वस्तु किसी रॉकेट का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “यह पीएसएलवी या कोई अन्य हो सकता है और जब तक हम इसे नहीं देखेंगे और इसका विश्लेषण नहीं करेंगे, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है।” सोमनाथ ने कहा, पीएसएलवी के कुछ हिस्से ऑस्ट्रेलिया के विशेष आर्थिक क्षेत्र से परे समुद्र में गिर गए, वस्तु “लंबे समय तक तैरती रही होगी और आखिरकार किनारे पर पहुंच गई”। मलबे से कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि मलबे से कोई खतरा नहीं है।

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