नहर में दीवार निकाली, आमने-सामने हुए किसान

एचएमएच नहर के मोघा नम्बर 14 पर दीवार बनाकर पानी रोकने से पैदा हुई विवाद की स्थिति

हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। जंक्शन में श्रीगंगानगर मार्ग के पास से होकर गुजरने वाली एचएमएच नहर के मोघा नम्बर 14 पर कुछ किसानों ने नहर में दीवार का निर्माण कर दिया। इसका पता चलते ही नहर के टेल के किसानों ने सोमवार को मौके पर एकत्रित होकर विरोध दर्ज करवाया। उन्होंने नहर में बनाई गई दीवार हटाने की मांग की। साथ ही इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिकारियों को सूचना दी।

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मौके पर मौजूद चक 14 एचएमएच व टेल के किसानों में विवाद हो गया। इस मौके पर एचएमएच नहर चेयरमैन जगदीश सहारण व दौलतराम सिलू ने बताया कि एचएमएच नहर के मोघा नम्बर 14 पर चक 14 एचएमएच के किसान हर बार कभी मिट्टी से भरे थैले लगाकर पानी रोक लेते हैं तो कभी दीवार बना लेते हैं। इससे पहले भी इस बात को लेकर विवाद हो चुका है। जब इन्हें रोका जाता है तो चक के किसान कहते हैं कि उनके मोघे का पानी कम है।

क्या है मामला

लेकिन अगर मोघे में पानी कम आ रहा है तो इस बारे में यह किसान सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बात कर समस्या का हल करवाएं। लेकिन चक 14 एचएमएच के कुछ किसानों ने पुल के पास दीवार निकालकर व लकड़ी का फट्टा लगाकर पूरी नहर ही बंद कर दी। इस कारण टेल के किसानों तक पूरा पानी न पहुंचने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले दो सप्ताह से यही स्थिति है। नहर में निर्धारित पानी में से सात हिस्से पानी टेल तक पहुंच रहा है। उन्होंने इन किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।

उधर, नहर में दीवार निकालने वाले किसान लक्ष्मीनारायण जांगू ने बताया कि नहर के निर्माण के समय ठेकेदार ने अपनी मनमानी से मोघा निकलने के बाद पांच इंच संकरी होने वाली नहर को कोई विवाद होने के कारण संकरी न कर आगे 16 एचएमएच तक उसी अनुसार निर्माण कर दिया। इस कारण चक 14 एचएमएच के किसानों का मोघा पूरा पानी नहीं ले पाता। ट्यूबवैल का पानी खारा होने के कारण चक 14 एचएमएच के किसान नहर के पानी से सिंचाई करते हैं। पिछले 5-6 सालों से किसानों को कम पानी मिलने से नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों को समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए कई बार कहा गया लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि टेल के किसान पूरा पानी न पहुंचने की झूठी बात कह रहे हैं। टेल तक पूरा पानी पहुंच रहा है। जबकि पीछे के किसानों को उनके शेयर के मुताबिक पानी नहीं मिल पाता। इस बात को लेकर बार-बार विवाद की स्थिति पैदा होती है। वे पानी की चोरी नहीं कर रहे। उनका मोघा सही लगा हुआ है।

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