साइन लैंग्वेज सीखकर संवारे करियर

Learning Sign Language

सच कहूँ/करियर डेस्क। सांकेतिक भाषा सीखना भले ही आसान हो लेकिन इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए रचनात्मक सोच का होना काफी जरूरी है। साइन लैंग्वेज यानी मूक-बधिरों की भाषा सीखना आपके कॅरियर के नए रास्ते खोल सकता है। किसी भी भाषा में साइन लैंग्वेज सीख लेने पर आप शिक्षा, समाज सेवा, सरकारी क्षेत्र और बिजनेस से लेकर परफॉर्मिंग आर्ट, मेंटल हेल्थ सरीखे बहुत-से क्षेत्रों में नौकरी पा सकते हैं। इतना ही नहीं संकेतों को समझने और समझाने में माहिर होना, विदेशों में भी रोजगार दिला सकता है।

रोजगार के ढेरों अवसर

साइन लैंग्वेज सीखने के बाद आपको शिक्षा, समाज सेवा क्षेत्र, सरकारी संस्थानों और बिजनेस से लेकर परफॉर्मिंग आर्ट्स, मेंटल हेल्थ, मेडिकल और कानून सहित बहुत से क्षेत्रों में काम मिल सकता है। स्वयंसेवी संस्थाओं में भी काम करने के काफी अवसर हैं।

साइन लैंग्वेज की अहमियत

साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर सामने वाले की बातों को सुनकर, उसके शब्दों को तय संकेतों में ढालकर दूसरे को बताता है। भाषा संकेत अंग्रेजी में सबसे ज्यादा प्रचलित माने जाते हैं। स्कूल-कॉलेजों में मूक-बधिर छात्रों के साथ-साथ सामान्य छात्र भी सांकेतिक भाषा सीख जाते हैं। इस विषय में स्नातक करने वाले छात्र शिक्षा के क्षेत्र में अपना कॅरियर बना सकते हैं।

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बढ़ रही शिक्षकों की मांग

भारत में मूक-बधिर लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। सांकेतिक भाषा उनकी प्राकृतिक भाषा है। इन्हें शिक्षा और रोजगार के अवसरों से जोड़ने के लिए साइन लैंग्वेज सिखाने वाले शिक्षकों की मांग बढ़ रही है।

कैसे होती है पढ़ाई

देश के मूक-बधिरों को पढ़ाने के दो तरीके हैं। पहला मौखिक संवाद और दूसरा है इंडियन साइन लैंग्वेज। देश के लगभग 500 स्कूलों में दूसरे तरीके से सिखाने की सुविधा है लेकिन प्रशिक्षित शिक्षकों के अभाव में देश में बड़ी संख्या में जन्म से बधिर बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। साइन लैंग्वेज में तीन से चार महीने के कोर्स के अलावा शारीरिक अशक्तता से ग्रस्त बच्चों के शिक्षण के लिए कई अन्य कोर्स भी हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद अच्छे रोजगार प्राप्त किए जा सकते हैं।

आमदनी का अच्छा स्रोत

इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने वालों के पास अच्छी आमदनी का भी मौका होता है। खासकर यदि आप विदेशी एनजीओ या मेडिकल क्षेत्र से जुड़ते हैं तो शुरूआती स्तर पर बीस से 25 हजार रुपये तक आसानी से कमा पा सकते हैं। कुछ सालों के अनुभव के बाद वेतन भी बढ़ता जाता है।

प्रतिकों की हो जानकारी

बधिर और विकलांग छात्रों को इस कोर्स में विभिन्न प्रतिकों की जानकारी दी जाती है। उनके इस्तेमाल की विधि बताई जाती है। सभी कोर्स दो से चार माह अवधि के होते हैं। कोर्स के तहत बेसिक और एडवांस लेवल की जानकारी अलग-अलग चरणों में दी जाती है। साथ ही उन्हें ज्ञान-विज्ञान की दुनिया से जुड़ने के लिए संकेतों के माध्यम से गहन अध्ययन भी कराया जाता है। इस माध्यम में छात्रों को पढ़ाई के दौरान आवश्यक अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है।

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) ने जुलाई प्रवेश-2020 के लिए एक बार फिर रजिस्ट्रेशन प्रोसेस बढ़ा दी है। एडमिशन लेने के इच्छुक उम्मीदवार अब 16 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। एडमिशन लेने के लिए कैंडिडेट्स यूनिवर्सिटी की आॅफिशियल वेबसाइट के जरिए आॅनलाइन अप्लाय कर सकते हैं।

विभिन्न कोर्सेस के लिए करें अप्लाय

इग्नू के विभिन्न यूजी और पीजी डिग्री, पीजी सर्टिफिकेट, पीजी डिप्लोमा, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा के साथ ही आवेदन या जागरूकता स्तर के कार्यक्रमों में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स अब अगस्त के मध्य तक आवेदन कर सकते हैं। प्रोग्राम में अंग्रेजी में एमए, हिंदी में बीए, ग्रामीण विकास में पीजीडी, पीजी प्रमाणपत्र, पर्यावरण, जनसंख्या और विकास पर पाठ्यक्रम आदि शामिल है।

सितम्बर में होगी टर्म एंड परीक्षा

यूजीसी की नई गाइडलाइन के मुताबिक, जून परीक्षा 2020 अब सितंबर में आयोजित की जाएगी। इस बारे में यूनिवर्सिटी ने नोटिफिकेशन जारी कर जानकारी दी कि परीक्षा सितंबर में आयोजित की जाएगी और इसे स्थगित नहीं किया जाएगा। दरअसल, कोरोना के कराण बने हालातों के बाद यूनिवर्सिटी ने यह फैसला लिया है।

स्वयं पोर्टल पर इग्नू के 45 कोर्स

इससे पहले इग्नू ने हाल ही में एग्रीकल्चरल, सस्टेनेबिलिटी साइंस, लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस, सोशियोलॉजी, लॉ, टूरिज्म, लेंग्वेज, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इवेंट मैनेजमेंट और विजुअल आर्ट जैसे दस नए आॅनलाइन कोर्सेज की शुरूआत की है। इग्नू ने स्वयं पोर्टल पर अपने 24 और कोर्स को भी जोड़ दिया है, जिसके बाद अब स्वयं पोर्टल पर इग्नू के उपलब्ध कोर्स की संख्या अब 45 तक पहुंच गई है।

ह्ययूमन राइट फॉर डिसएबिलिटीज

यह कोर्स ज्ञान पर आधारित है। इसमें विकलांग छात्रों को आज के समय में उनके अधिकारों से अवगत कराया जाता है। उनके सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक अधिकार क्या हैं, इसके बारे में इस कोर्स के माध्यम से जानकारी दी जाती है।

मास मीडिया

यह कोर्स दिल्ली विश्वविद्यालय में चलने वाले अन्य कॉलेजों के कोर्सों से इस मायने में अलग है क्योंकि इसमें विकलांग छात्रों को न्यूज रीडिंग और एंकरिंग सिखाई जाती है।

ब्रेल रीडिंग एंड राइटिंग

यह कोर्स ऐसे छात्रों के लिए है, जो ब्रेल लिपि सीखने या सिखाने में रुचि रखते हैं। इस पाठ्यक्रम में दृष्टि संबंधी अक्षमता से ग्रस्त व्यक्तियों के अलावा सामान्य व्यक्ति भी दाखिला ले सकते हैं।

संबंधित संस्थान

  • इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, दिल्ली
  • अली यावर जंग नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द हियरिंग हैंडीकैप्ट, मुंबई
  • रामकृष्ण मिशन विवेकानंद यूनिवर्सिटी,कोयंबटूर

 

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