बीजेपी-कांग्रेस : अगला अध्यक्ष कौन ?

BJP-Congress: Who is the next president?

 आजादी के बाद पहली बार ऐसा मौका पड़ रहा है जब दोनों पार्टियों को राष्ट्रीय अध्यक्षों की एक साथ जरुरत है। जैसा की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका था लेकिन लोकसभा चुवाव की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव स्थगित कर दिया गया था। वहीं दूसरी ओर 2014 और 2019 की हार के बाद राहुल को बदलने की दरकार महसूस हुई जिस पर राहुल गांधी स्वयं इस्तीफे पर अड़े हैं।

दोनों पार्टियों की कहानी समझते हैं लेकिन पहले बात करते हैं बीजेपी के अध्यक्ष की। अमित शाह ने 2013 में पार्टी की कमान राष्ट्रीय अध्यक्ष के रुप में संभाली थी। उस समय बीजेपी अपने पुनर्जन्म लगभग 10 महीने दूर थी। अध्यक्ष बनने के बाद अपनी जिम्मेदारियों की झोला लेकर शाह ने अपना काम करना शुरू कर दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव आते-आते मोदी का नाम और शाह की रणनीति की इतनी गर्माहट बन गई थी कि इनके सिवाय पार्टी में और दिखाई नही दे रहा था और फिर रिजल्ट भी ऐसा आया जिससे राजनीति के तमाम रिकार्ड तोड़कर बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

जिसका श्रेय सीधे तौर अमित शाह को मिला और उनको पार्टी में चाणक्य का तमगा मिला। अब बात आ जाती है 2014 और 2019 के बीच के कार्यकाल की जिसमें पार्टी में कई तरह के उतार-चढ़ाव आए जिसमें एक बार स्थिति ऐसी आई थी कि शाह को इस्तीफा देने की नौबत तक आ गई थी। इसके बाद से अमित शाह को सबसे बडे गेम चेंजर के रुप में स्वीकारा और अब उनको पार्टी ने इसका फल या यूं कहें कि रिटर्न गिफ्ट देते हुए गृहमंत्री बनाया गया। लेकिन अब पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अमित शाह की जगह कौन लेगा? इतने बेस्ट परफोमेंस के बाद कौन है जो इस सीट को संभाल पाएगा। लेकिन बीजेपी के कानून के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष लगातार दो बार कोई नही बन सकता। अब कानून है तो उसको निभाना भी पड़ेगा तो इस आधार पर कुछ लोगों के नाम पर मोहर लग सकती है।

माना जा रहा हैं कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के लिए जेपी नड्डा, भूपेन्द्र यादव और कैलाश विजयवर्गीय और राम माधव में से किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है क्योंकि इनके पास पार्टी को संभालने का अनुभव है। सूत्रों की मानें तो नड्डा का नाम दौड़ में सबसे आगे है। नड्डा के प्रभारी रहते बीजेपी ने यूपी में दोबारा वो कर दिया जिसकी उम्मीद सब छोड़ चुके थे।

मंत्रिमंडल में नड्डा का नाम शामिल न होने के बाद से ही उनके पार्टी अध्यक्ष बनने के कयास लगाए जा रहे हैं। नड्डा फिलहाल पार्टी की सबसे पावरफुल संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव हैं। नड्डा 2010 से नवम्बर 2014 तक नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और अमित शाह के साथ पार्टी के महासचिव के रूप में काम कर चुके हैं। नड्डा 1991 में पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनहोर जोशी के पार्टी अध्यक्ष रहते हुए बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

अब कांग्रेस के अध्यक्ष की बात करें तो पिछले लगभग सौ साल से गांधी परिवार से ही यहां अध्यक्ष बनता है। हांलाकि 37 वर्षों के गैर गांधी भी रहा है लेकिन सबसे ज्यादा समय गांधी परिवार को मिला है। राहुल गांधी ने 2017 में अध्यक्ष पद संभाला था इससे पहले करीब दो दशक तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रही थी। बीजेपी ने इस बात को पकड़ते हुए इस मुद्दे को बहुत भुनाया था। बहरहाल, यह सब तो पार्टियों में चलता रहता है लेकिन अब अहम सवाल यह है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए लाइन में कौन हो सकता है क्योंकि राहुल गांधी तो इस्तीफे पर अड़े हैं।

लेकिन अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कांग्रेस के पास ऐसा कौन सा चेहरा है जिसे यह पद मिले। क्योंकि देश की इस सबसे बड़ी पार्टी की विडंबना यह है कि गैर गांधी परिवार के अलावा मौका बहुत कम ही मिलता है लेकिन इस समय पार्टी बड़े संकट में हैं क्योंकि राहुल का चेहरा चल नही रहा तो अब क्या किया जाए? यह प्रश्न पुराना नही है लेकिन अब कांग्रेस को एक बार फिर यह प्रथा तोडनी चाहिए क्योंकि अब राजनीति का फॉर्मेट बिल्कुल बदल चुका है। इसलिए अब सही समय है कि गैर गांधी परिवार के मजबूत नेता को अध्यक्ष बनाया जाए जिससे इनके परिवार से यह बात भी हट जाएगी कि सिर्फ गांधी परिवार का ही इस पार्टी पर कब्जा है। जब परिस्थितियां साथ न दे तो स्थिति को बदल देना चाहिए। देश की सबसे पार्टी अंत की ओर जा रही है। दरअसल खेल बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि आप बदलाव नह करते तो सबसे पहले अपने ही आप से कटने लगते है। कुछ लोगों को मानना है कि राहुल का इस्तीफा देना एक ड्रामा है लेकिन हम इस बात को प्रमाणिकता के साथ इसलिए नही कह सकते क्योंकि राजनीति में जितने मुंह उतनी बात।
-योगेश कुमार सोनी

 

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