पुलवामा आतंकी हमले के बाद जारी सर्च आॅप्रेशन में रेवाड़ी का जवान शहीद

2011 was deployed in the army

-2011 में हुआ था सेना में तैनात, 2 साल पहले ही हुई थी शादी

-तीन बहनों के बीच इकलौता भाई था हरीसिंह राजपूत

-खबर मिलते ही गांव में नहीं जला चूल्हा

सच कहूँ/महेंद्र भारती
रेवाड़ी। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे आॅपरेशन के दौरान हुई मुठभेड़ में रेवाड़ी के गांव राजगढ़ का 25 वर्षीय जवान हरीसिंह राजपूत शहीद हो गया। इस हमले में मेजर सहित कुल 4 जवानों की शहादत हुई है। जैसे ही हरीसिंह की शहादत का समाचार गांव पहुंचा तो परिवार में मातम छा गया और गांव में सन्नाटा पसर गया। हरीसिंह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र और तीन बहनों के बीच अकेला भाई था। शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार की सुबह गांव पहुंचने की उम्मीद है। गांव राजगढ़ के अगड़ी सिंह के पुत्र हरीसिंह की 8 वर्ष पूर्व सेना में 55-आरआर बटालियन में सिपाही के तौर पर भर्ती हुई थी। पिता भी सेना से सेवानिवृत होकर 8 वर्ष पूर्व गुजर चुके हैं। ग्रेनेडियर के पद पर तैनात हरीसिंह हाल ही में नायक के पद पर पदोन्नत हुआ था और उसकी ड्यूटी पुलवामा क्षेत्र में लगी हुई थी। 40 जवानों की शहादत के बाद सेना के चल रहे सर्च अभियान में हरीसिंह भी शामिल था।

आज गांव में पहुंचेगा शहीद का पार्थिव शरीर

गांव के सरपंच गोवर्धन सिंह ने बताया कि हरीसिंह का पार्थिव शरीर जम्मू से हवाई जहाज द्वारा रवाना हो चुका है। सैनिक बोर्ड ने बताया है कि मंगलवार सुबह पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि हरीसिंह एक बहादुर परिवार का बेटा था। उसके पिता भी सेना में थे। हरीसिंह की अपने परिजनों से फोन पर बात होती रहती थी। लेकिन 40 जवानों की शहादत के बाद उसकी परिवार से बात नहीं हुई। चचेरे भाई रणजीत सिंह ने बताया कि वैसे तो भाई की शहादत पर परिवार व गांव को गर्व है। लेकिन कहीं न कहीं दुखों का पहाड़ भी टूटा है। हरीसिंह अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला था। उसने कहा कि अब समय आ गया है कि आतंकियों व पाकिस्तान के खिलाफ कड़े से कड़ा कदम उठाया जाए।

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