2007 वनडे विश्वकप ने धोनी को व्यक्ति के रुप में बदला : रैना

2007 ODI World Cup replaced Dhoni as a man Raina
नई दिल्ली । भारतीय टीम के पूर्व ऑलराउंडरर सुरेश रैना का कहना है कि 2007 एकदिवसीय विश्वकप में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन का टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी पर गहरा प्रभाव पड़ा था और इसने उन्हें एक व्यक्ति के रुप में बदल दिया था। टीम इंडिया को अपनी कप्तानी में दो बार विश्वकप जिताने वाले धोनी ने गत 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया था जिसके तुरंत बाद रैना ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। रैना ने कहा, ‘धोनी ने 2007 विश्वकप से काफी कुछ सीखा और इस टूर्नामेंट ने धोनी को एक व्यक्ति के रुप में बदल दिया। यह दर्शाता है कि वह कितने गंभीर थे। उन्हें हमेशा लगता था कि आप जीतो लेकिन आप हार से काफी कुछ सीख सकते हैं। वह एक कठोर व्यक्ति हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैंने 2003-04 में धोनी के साथ काफी समय बिताया है, हम बेंगलुरु में साथ में शिविर करते थे। वह मुझे जानते थे कि मैं किस तरह का व्यक्ति हूं। हम दोनों ऐसी जगह से आते हैं जहां हम चीजों को सरल बनाते हैं। इसलिए जब हमें देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला तो मुझे लगा कि धोनी ऐसे व्यक्ति हैं जो खेल को बदल सकते हैं। पूर्व ऑलराउंडर ने कहा, ‘मैंने उनसे बात की, उन्होंने मेरे खेल और करियर में काफी चीजों में बदलाव किए। 2007 में मेरा ऑपरेशन हुआ और वो साल मेरे लिए काफी कठिन था। इसने मेरा जीवन बदल दिया। इससे मैं काफी कठोर बना और इससे मुझे बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद मिली।
रैना 2007 टी20 विश्वकप में टीम में शामिल नहीं थे लेकिन अगले साल आईपीएल में उन्हें धोनी के नेतृत्व वाली चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलने का मौका मिला। उन्होंने कहा, ‘मेरे ख्याल से मैं भाग्यशाली हूं जिसे नंबर पर तीन पर खेलने का सौभाग्य मिला। रैना ने कहा, ‘मैंने काफी वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला लेकिन नंबर तीन पर खेलना ऐसा है जिस पर मैं खेलने के लिए हमेशा उत्सुक रहा। हर नेट्स सत्र में मैं खुद से कहता था कि मुझे नेट्स पर आउट नहीं होना है जिससे मेरे दिमाग में प्रक्रिया साफ रहे।
उन्होंने कहा, ‘मैंने सीनियर खिलाड़ियों से काफी कुछ सीखा, विशेषकर धोनी, मैथ्यू हेडन, माइक हसी, फ्लेमिंग। इसके बाद मैंने देखा कि राहुल द्रविड़ खेल रहे हैं, अनिल कुंबले रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु का नेतृत्व कर रहे हैं और सचिन तेंदुलकर मिड ऑफ पर गेंद रोकने के लिए डाइव लगा रहे हैं। तब मैंने सोचा कि अगर ये खिलाड़ी इस प्रारुप में खेल सकते हैं तो हमें आगे आकर प्रदर्शन करना चाहिए। हम युवा खिलाड़ी हैं और हमें अपना खेल खेलना चाहिए।’’ 33 वर्षीय रैना ने पूर्व कोच गैरी कस्टर्न और डंकन फ्लेचर की सराहना की जिनके दौर में उन्होंने टीम इंडिया के लिए ज्यादातर मैच खेले। उन्होंने कहा, ‘मेरे ख्याल से फ्लेचर और कस्टर्न ने हमें खेल में जोखिम प्रबंधन सिखाया। उन्होंने बताया कि कहां जोखिम लेना है और कहां नहीं लेना है। रैना ने कहा, ‘यह दो चीज मेरे दिमाग में हमेशा रही। मुझे याद है कि फ्लिंटॉफ हमारी तरफ आए। मैं और धोनी नेट्स पर बल्लेबाजी कर रहे थे। फ्लिंटॉफ ने अच्छी गेंदबाजी की। धोनी ने मुझसे कहा कि अगर तुम्हें अच्छी गेंद मिले तो आप मुझे किसी कीमत पर हिट नहीं कर सकते और अगर कमजोर गेंद मिली तो तुम हिट कर सकते हो। टी20 क्रिकेट आसान है। अगर आप इसे कठिन समझेंगे तो यह कठिन लगेगा।

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