केंद्रीय जल शक्ति मंत्री स्वयं करेंगे अगुवाई
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दोनों राज्य अपनी-अपनी बात पर अडिग
अश्वनी चावला चंडीगढ़। एसवाईएल के पानी विवाद को लेकर मंगलवार को पहली बार पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री बैठक करने जा रहे हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री दफ्तरों की ओर से इस मीटिंग को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंगलवार को मीटिंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी। मीटिंग की अगुवाई स्वयं केंद्रीय जल शक्ति मंत्री करेंगे और इस पूरी मीटिंग की रिकॉर्डिंग से लेकर होने वाले बातचीत का पूरा ब्यौरा केन्द्र सरकार नोट करते हुए सुप्रीम कोर्ट में सौंपेगी। मीटिंग में हरियाणा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट द्वारा 4 साल पहले दिए गए फैसले को लागू करवाने के लिए न सिर्फ जोर दिया जाएगा, बल्कि उन समझौतों के दस्तावेज भी प्रस्तुत किए जाएंगे, जिन समझौतों के तहत हरियाणा पिछले 30 सालों से एसवाईएल का पानी मांगता आ रहा है। हालांकि अभी तक एक बूंद भी पानी नहीं मिला है।
एसवाईएल नहर बनाने के मामले में हरियाणा के पक्ष में पहले से ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, परंतु इसको लागू करने में पंजाब की सरकारें लगातार बाधाएं डालती रही हैं। इन बाधाओं को देखते हुए ही हरियाणा सरकार ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और लगातार सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर सख्ती करती नजर आ रही है। इसके चलते ही केन्द्र सरकार को भी इस पूरे मामले में फटकार लग चुकी है, क्योंकि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दोनों राज्यों की सरकारों की मीटिंग कराने की बात कही थी, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाई थी। अब लंबे इंतजार के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों की मीटिंग केंद्र सरकार की अगुवाई में होने जा रही है। जिससे हरियाणा काफी ज्यादा उम्मीदें लगाए बैठा है कि अब जल्द ही एसवाईएल पानी का विवाद निपट जाएगा। जबकि दूसरी तरफ पंजाब एक बूंद भी पानी देने को तैयार नहीं है। पंजाब का स्पष्ट कहना है कि पानी के बंटवारे को लेकर फिर से ट्रिब्यूनल बनना चाहिए, जिसमें मौजूदा पानी की स्थिति और जरूरत के अनुसार देखना चाहिए। पंजाब इस मीटिंग में ट्रिब्यूनल को बनाने की मांग रखने जा रहा है और इस मांग को लेकर ही पंजाब अब पूरी लड़ाई लड़ेगा। पंजाब का कहना है कि उनके पास पहले ही पानी कम है, जिस कारण किसी अन्य राज्य को पानी देना मुनासिब नहीं है।
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