परिचय: अंगूर की आमतौर पर दो किस्में पायी जाती हैं- काली और हरी। द्राक्ष या अंगूर की बेल पर फल फरवरी-मार्च में लगते हैं। अंगूर की पैदावार हमारे देश में पंजाब, हरियाणा और महाराष्टÑ में बड़े पैमाने पर होती है। मीठे और पके अंगूर गुणकारी होते हैं। यह सभी फलों में श्रेष्ठ फल है।
गुण-
यह प्यास, जलन, मुँह सूख जाना, बुखार, दमा, रक्तपित्त, फेफड़ों का घाव, मुँह में कड़वाहट, आवाज बैठ जाना, खांसी और नशे से उत्पन्न विकारों को दूर करता है।
उपयोग-
छोटे बच्चों में कब्ज की शिकायत होती है, उसे दूर करने के लिए रोज 10 से 20 काले अंगूर रात को या सुबह नाश्ते में खिलाएँ।
आँखों में खुजली-
अंगूर का रस निकालकर आंच पर पकाकर गाढ़ा बनाइए। ठंडा होने पर शीशी में भरकर रख लें। रात में इसे आंखों में अंजन के तौर पर लगाने से आँखों की खुजली मिट जाती है।
खांसी-
- बीज निकाला हुआ मुनका 15 ग्राम, बादाम की गिरी 18 ग्राम और मुलहठी 18 ग्राम, एक साथ पीस कर छोटी-छोटी गोलियाँ बनाएं, एक गोली मुँह में रखकर चुसने से खांसी ठीक हो जाएगी।
- 40 ग्राम काले अंगूर लेकर उसे पानी में भिगोकर रखें। प्रात: उंगलियों से मसलकर पी लें। इससे पेशाब की जलन मिटती है।
- अंगूर और अमलतास के काढ़े में गुड़ मिलाकर पीने से गर्मी से उत्पन्न बुखार मिटता है।
- अंगूर और आंवले को पीस कर, घी मिलाकर मुँह में कुछ देर रखें और बाद में खाने से मुँह, जीभ और गले क सूखापन दूर होता है।
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