मामला : 2012 में हिंसा, आगजनी के बाद से उठने लगी थी पलायन की चर्चाएं
( Maruti Suzuki Company )
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कांग्रेस नेता के बयान पर सफाई देने को मजबूर हुई सरकार
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गुरुग्राम के विकास की धुरी है कंपनी, अनेक कंपनियां निर्भर
सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। 40 साल पहले हरियाणा के गुरुग्राम में संजय गांधी द्वारा स्थापित कराया गया मारुति उद्योग लिमिटेड पिछले 15-20 वर्षों से किसी न किसी रूप में सुर्खियों में है। इस उद्योग के यहां से पलायन को लेकर भी अफवाहें उड़ती रही हैं। वर्ष 2012 में जब मारुति के मानेसर में कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान आगजनी में एक अधिकारी की मौत हुई तो इन अफवाहों ने और अधिक जोर पकड़ लिया। बीच में यह मामला ठंडा पड़ा था, लेकिन अब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की ओर से मारुति के पलायन संबंधी बयान पर सरकार सफाई दे रही है।
1984 में लगा था मारूति का पहला संयंत्र
गुरुग्राम शहर में पुराने दिल्ली रोड पर मारुति का पहला संयंत्र वर्ष 1984 में लगा था। पुराने दिल्ली रोड से शुरू होकर यह संयंत्र गुरुग्राम-जयपुर हाइवे तक फैला है। यहां पर बनी भारत की पहली मारुति 800 कार को दिल्ली के ग्रीन पार्क निवासी हरपाल सिंह ने खरीदा था। ( Maruti Suzuki Company ) गुरुग्राम समेत देश की इकॉनोमी को ग्रोथ करने में चारपहिया निर्माता मारुति उद्योग का बहुत बड़ा योगदान है। समय के साथ कंपनी ने कारों के अनेक मॉडल बाजार में उतारे। कंपनी के ज्यादातर मॉडल लोकप्रिय भी हुए हैं। कुछ मॉडल की अधिक बिक्री होने के चलते दूसरे मॉडल पर जब पार्क पड़ा तो कंपनी ने अधिक बिक्री वाले मॉडल को या तो बंद कर दिया या फिर उनको दूसरा रूप देकर बाजार में उतारा।
- इस तरह से मारुति का भारतीय बाजार पर कब्जा आज भी कायम है।
- आम आदमी के बजट में मारुति कंपनी द्वारा कारों का निर्माण किया जाता है।
वर्ष 2012 में हुई थी हिंसा व आगजनी
वर्ष 2012 में कांग्रेस की सरकार के समय में मानेसर स्थित मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड कंपनी में 18 जुलाई 2012 को कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान बड़ी आगजनी और हिंसा हुई थी। मारुति के प्लांट का काफी हिस्सा जलकर खाक हो गया था। इस दौरान हुई आगजनी में कंपनी के महाप्रबंधक अवनीश देव की जिंदा जलने से मौत हो गई थी और मैनेजमेंट के 98 लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद 525 लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया था। गुरुग्राम की अदालत में वर्षों तक केस चलने के बाद 10 मार्च 2017 में 31 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था।
- इनमें 13 दोषी कर्मचारियों को उम्र कैद दी थी।
- वहीं 4 कर्मचारियों को 5 साल व 14 दोषी कर्मचारियों को तीन साल की सजा सुनाई गई थी।
- अदालत ने 117 आरोपियों को बरी भी किया था।
- मामले में कुल 148 कर्मचारी आरोपी बनाए गए थे, जिनमें से 90 कर्मचारियों का नाम एफआईआर में ही नहीं था।
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