Sushil Modi Death: नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और कई दिग्गज नेताओं ने बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के निधन पर शोक जताया। मोदी ने कहा है कि पार्टी में अपने मूल्यवान सहयोगी और दशकों से मेरे मित्र रहे सुशील मोदी जी के असामयिक निधन से अत्यंत दुख हुआ है। बिहार में भाजपा के उत्थान और उसकी सफलताओं के पीछे उनका अमूल्य योगदान रहा है। आपातकाल का पुरजोर विरोध करते हुए, उन्होंने छात्र राजनीति से अपनी एक अलग पहचान बनाई थी।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘सुशील मोदी बेहद मेहनती और मिलनसार विधायक के रूप में जाने जाते थे। राजनीति से जुड़े विषयों को लेकर उनकी समझ बहुत गहरी थी। उन्होंने एक प्रशासक के तौर पर भी काफी सराहनीय कार्य किए। जीएसटी पारित होने में उनकी सक्रिय भूमिका हमेशा याद किया जाएगा। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति।
नड्डा ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने शोक संदेश में कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी जी के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है। विद्यार्थी परिषद से लेकर अभी तक हमने साथ में संगठन के लिए लंबे समय तक काम किया। सुशील मोदी जी का पूरा जीवन बिहार के लिये समर्पित रहा। बिहार को जंगलराज से बाहर निकालकर विकास के पथ पर लाने में सुशील मोदी जी का प्रयास बहुत मददगार रहा है। उनका ना होना असंख्य कार्यकताओं के लिए एक अपूरणीय क्षति है। नड्डा ने प्रार्थना की, ‘प्रभु दिवंगत आत्मा को शांति और परिजनों को सम्बल प्रदान करें। ॐ शान्ति!
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शोक संदेश में लिखा, ‘हमारे वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी जी के निधन की सूचना से आहत हूँ। आज बिहार ने राजनीति के एक महान पुरोधा को हमेशा के लिए खो दिया। अभाविप से भाजपा तक सुशील जी ने संगठन व सरकार में कई महत्त्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया। उनकी राजनीति गरीबों व पिछड़ों के हितों के लिए समर्पित रही। उनके निधन से बिहार की राजनीति में जो शून्यता उभरी है, उसे लंबे समय तक भरा नहीं जा सकता। दु:ख की इस घड़ी में पूरी भाजपा उनके शोकाकुल परिवार के साथ खड़ी है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शोक संदेश में कहा, ‘बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता, सुशील कुमार मोदी के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनका लम्बा सार्वजनिक जीवन जनता-जनार्दन की सेवा और गरीब कल्याण के प्रति समर्पित था। मोदी ने बिहार में पार्टी को मजबूत और लोकप्रिय बनाने के लिए काफी परिश्रम किया। बिहार के विकास के लिए किए गए उनके कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे। ईश्वर उनके शोक संतप्त परिवार को दु:ख की इस घड़ी में धैर्य और संबल प्रदान करे. ओम शान्ति।
बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, ‘हमारे परिवार के वरिष्ठ सदस्य सुशील मोदी जी का निधन हो गया है। यह हम सभी के लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं है। बिहार भाजपा और बिहार को आगे बढ़ाने में उनके योगदान को भाजपा और बिहार कभी नहीं भूलेगा। इस कठिन समय में उनके परिवारऔर उनको चाहने वालों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएँ। ॐ शांति।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने शोक संदेश में कहा कि सुशील कुमार मोदी जेपी आंदोलन के सच्चे सिपाही थे। उपमुख्यमंत्री के तौर पर भी उन्होंने हमारे साथ काफी वक्त तक काम किया। मेरा उनके साथ व्यक्तिगत संबंध था और उनके निधन से मैं मर्माहत हूं। मैनें आज सच्चा दोस्त और कर्मठ राजनेता खो दिया है। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। कुमार ने ईश्वर से कामना की है कि सुशील कुमार मोदी के परिजनों, समर्थकों और प्रशंसकों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें।
राजद सुप्रीमो ने सुशील मोदी के निधन पर दुख जताया और कहा कि वो एक जुझारू राजनीतिक व्यक्ति थे। यादव ने एक्स पर लिखा, ‘पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के समय यानि विगत 51-52 वर्षों से हमारे मित्र भाई सुशील मोदी के निधन का अति दु:खद समाचार प्राप्त हुआ। वे एक जुझारू, समर्पित सामाजिक राजनीतिक व्यक्ति थे। ईश्वर दिवगंत आत्मा को चिरशांति तथा परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। सुशील मोदी ने आज रात राष्ट्रीय राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अंतिम सांस ली। वह 72 वर्ष के थे। मोदी गले के कैंसर के असाध्य रोग से जूझ रहे थे।
बिहार की मौजूदा राजनीति, शासन-प्रशासन और अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी लोकनायक जय प्रकाश नारायण के आह्वान पर पटना विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर (एमएससी) की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर छात्र आंदोलन में शामिल हो गए थे। मोतीलाल मोदी और श्रीमती रत्ना देवी के घर में 05 जनवरी 1952 को जन्मे सुशील कुमार मोदी ने राम मोहन राय सेमिनरी, पटना से मैट्रिक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। पटना विश्वविद्यालय के पटना साइंस कॉलेज से स्नातक प्रतिष्ठा (वनस्पति विज्ञान) की डिग्री हासिल की। लेकिन, स्नातकोत्तर (वनस्पति विज्ञान) में पटना विश्वविद्यालय में नामांकन कराने के कुछ माह बाद ही जे.पी. के आह्वान पर पढ़ाई छोड़कर सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन (जे पी आंदोलन) में शामिल हो गए।
जेपी आंदोलन से राजनीति में सक्रिय हुए मोदी वर्ष 1971 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के पांच सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए और वर्ष 1973 से 1977 तक पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री रहे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इसी छात्र संघ के निर्वाचित अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद संयुक्त सचिव थे। वे वर्ष 1977 से 1986 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रदेश मंत्री और प्रदेश संगठन मंत्री, उत्तर प्रदेश-बिहार के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रहे। वे विद्यार्थी परिषद् के तीन बार राष्ट्रीय महामंत्री रहे। वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आजीवन सदस्य थे।
मोदी को जेपी आंदोलन और आपातकाल के दौरान पांच बार गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 1974 में बिहार में छात्र आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में मीसा अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी, जिसके परिणामस्वरूप मीसा अधिनियम की धारा 9 को असंवैधानिक करार दिया गया। उन पर 1973 से 1977 तक एमआईएसए और कई अन्य अधिनियमों के तहत मामला दर्ज किया गया था। आपातकाल के दौरान उन्हें 30 जून 1975 को गिरफ्तार किया गया था और वे लगातार 19 महीने तक जेल में रहे थे।
जुझारू व्यक्तित्व वाले मोदी का आंदोलनों से गहरा नाता रहा है। वर्ष 1972 में पहली बार छात्र आन्दोलन के दौरान उन्हें 5 दिनों की जेल यात्रा करनी पड़ी। वे आपातकाल के 19 महीने की जेल यात्रा को मिलाकर कुल लगभग 24 माह जेल में रहे। वे बांकीपुर, फुलवारी, बक्सर, हजारीबाग, दरभंगा, भागलपुर जेल तथा पी.एम.सी.एच. कैदी वार्ड में कारा अवधि में बंद किए गए। उन्हें राम जन्म भूमि आन्दोलन के दौरान 10 दिनों के लिए जेल जाना पड़ा था। उनकी विदेशी घुसपैठ विरोधी असम आन्दोलन में सक्रिय भूमिका रही थी।
मोदी वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के दौरान आरएसएस के संपर्क में आए। उन्हें पटना की राजेन्द्र नगर सायं शाखा के मुख्य शिक्षक, पटना महानगर सायं कार्यवाह और जिला शारीरिक प्रमुख का दायित्व दिया गया। वे वर्ष 1977 से 1986 तक संघ के प्रचारक के नाते विद्यार्थी परिषद् के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे।
वे राजनीति की समृद्ध विरासत छोड़ कर गए हैं। वे वर्ष 1990 में पटना केन्द्रीय विधान सभा क्षेत्र से 31,021 मत प्राप्त कर 3,113 मतों के अंतर से जीते। वर्ष 1995 में इसी क्षेत्र से 64,134 मत प्राप्त कर 32,099 मतों के अंतर से जीते। वर्ष 2000 में इसी क्षेत्र से 85,832 मत प्राप्त कर 66,069 मतों के अंतर से जीते। वे वर्ष 1996 से 2004 तक बिहार विधान सभा में प्रतिपेक्ष के नेता रहे।
मोदी ने वर्ष 2004 में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और तीन लाख 45 हजार मत प्राप्त किया और अपने प्रतिद्वंदी को एक लाख 17 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। उन्होंने वर्ष 2005 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनाने के लिए लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया और बिहार विधान परिषद् का सदस्य निर्वाचित हुए। वे वर्ष 2012 में दूसरी बार बिहार विधान परिषद् का सदस्य चुने गए।
वर्ष 1990 में उन्हें भाजपा बिहार विधानमंडल दल का मुख्य सचेतक बनाया गया। वर्ष 1996 से 2004 तक वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। उन्होंने श्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की, जिसे बाद में चारा घोटाले के नाम से जाना गया। वे वर्ष 2000 में नीतीश कुमार सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे। उन्होंने झारखंड राज्य के गठन का समर्थन किया था। वर्ष 2005 में नीतीश कुमार की फिर से बनी सरकार में उन्हें उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री की जिÞम्मेवारी सौंपी गई।
बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद वह फिर बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। वर्ष 2017 में बिहार में जदयू-राजद की महागठबंधन सरकार के पतन में श्री मोदी की अहम भूमिका मानी जाती है। उन्होंने कथित बेनामी संपत्तियों और अनियमित वित्तीय लेनदेन को लेकर चार महीने तक राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ लगातार हमला बोला था। वे लगभग 11 वर्षों तक नीतीश सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे और इस जोड़ी को बिहार के राजनीतिक हलकों में ‘राम-लक्ष्मण’ की जोड़ी के रूप में जाना जाता रहा ।
रामविलास पासवान के 08 दिसंबर 2020 को निधन के बाद खाली हुई सीट को भरने के लिए श्री मोदी को बिहार से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना गया।वह देश के उन नेताओं में से एक थे जो राज्यसभा, लोकसभा,विधान परिषद, विधान सभा के सदस्य रहे। मोदी भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के प्रयासों के विरोधी थे। उन्होंने इस विचार के समर्थकों को “वामपंथी-उदारवादी” बताया, जो “पश्चिम की नकल करना और भारतीय जनता पर ऐसे कानून थोपना” चाहते हैं।उन्होंने तर्क दिया कि भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से “देश में व्यक्तिगत कानूनों का नाजुक संतुलन पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।