बचपन से ही मेहनत करने की आदत ने दिलाई कामयाबी
(Surendra Olympian )
-
सुरेन्द्र पालड़ की 18 साल की मेहनत लाई रंग
सच कहूँ/ देवीलाल बारना
कुरुक्षेत्र। कर्मभूमि कुरुक्षेत्र के एक छोटे से खेल प्रांगण द्रोणाचार्य की मिट्टी में अभ्यास करने वाला खिलाड़ी एक दिन ओलम्पिक के खेल प्रांगण में विरोधियों को धूल चटाएगा ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था, लेकिन कुरुक्षेत्र की इस मिट्टी में दिन-रात मेहनत करने वाले हॉकी खिलाड़ी सुरेन्द्र सिंह ने यह दुनिया के समक्ष साबित कर दिया है कि मेहनत करने पर लक्ष्य की प्राप्ति जरुर होती है। अहम पहलू यह है कि ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड़ दुनिया के एकमात्र ऐसे हॉकी खिलाड़ी है, जिन्होंने पिछले दो ओलम्पिक खेलों में मिट्टी के खेल मैदान पर खेलकर ओलम्पिक तक का सफर तय किया है। 18 साल पहले द्रोणाचार्य स्टेडियम में हॉकी की स्टीक सम्भालने वाले सुरेन्द्र कुमार पालड़ ने अपनी मेहनत और लग्न के साथ यह मुकाम हासिल किया है।
ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार ने इस मुकाम को हासिल करने के लिए सबकुछ त्याग दिया और अपना पूरा समय हॉकी को दिया है। पिछले 10 सालों में ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार ने एक या दो माह ही अपने परिवार के सदस्यों के साथ बिताए होंगे। यह एक माह भी अलग-अलग दिनों में परिवार के साथ बिताया है।
2004 में हाथों में हॉकी पकड़ी थी सुरेंद्र ने
अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सुरेंद कुमार पालड़ ने वर्ष 2004 में हॉकी को हाथ में पकड़ा और हॉकी की एबीसी सीखना शुरू किया। महज 6 साल में अथक मेहनत और लगन से हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ ने मई 2010 में राई में स्कूल नैशनल 19 वर्ष से कम आयु वर्ग की प्रतियोगिता में भाग लिया। अपनी पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शानदार खेल का प्रदर्शन किया और प्रतियोगिता जीतने में अहम भूमिका निभाई। इसी प्रदर्शन के बल पर हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ का वर्ष 2011 में जुनियर नैशनल गेम के लिए हरियाणा की टीम में चयन हुआ। पुणे में हुई इस जूनियर नैशनल हॉकी चैम्पियनशिप में हरियाणा की तरफ से खेलते हुए सुरेंद्र पालड़ ने शानदार प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता को जीतकर हरियाणा ने पिछले 50 सालों के रिकार्ड को तोड़ने में सफलता हासिल की। इस प्रतियोगिता में शानदार खेल तकनीक के बलबूते पर ही सुरेंद्र कुमार पालड़ को इसी टूर्नामेंट के दौरान भारतीय हॉकी शिविर के लिए चयनित किया। इस कैम्प में सुरेंद्र कुमार पालड़ की प्रतिभा में और अधिक निखार आया और 3 से 13 मई 2011 में मलेशिया में हुई जूनियर हॉकी चैम्पियनशिप में सुरेंद्र कुमार पालड़ ने भारतीय हॉकी टीम की तरफ से खेलते हुए अच्छा प्रदर्शन किया। इस टूर्नामेंट में भारत को कांस्य पदक मिला।
2012 में हुआ भारतीय जूनियर हॉकी टीम में स्लेक्शन
वर्ष 2012 नवम्बर माह में सुरेंद्र पालड़ का चयन फिर से भारतीय जूनियर हॉकी टीम में हुआ। इस बार मलेशिया में जौहर कप में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम को दूसरा स्थान मिला। वर्ष 2013 में ही अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ ने हॉलैंड व बेल्जियम में जूनियर भारतीय हॉकी टीम की तरफ से टेस्ट सीरिज खेली और इस टेस्ट सीरिज में सुरेंद्र कुमार पालड़ का प्रदर्शन सराहनीय रहा। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ ने एक बार फिर से जूनियर भारतीय हॉकी टीम की तरफ से मलेशिया में जौहर कप जीतने में अपनी अहम भूमिका निभाई। इस प्रतियोगिता में सभी देशों की टीमों को बुरी तरह परास्त कर गोल्ड मेडल जीतने में सफलता हासिल की। इसके बाद सुरेंद्र कुमार पालड़ को 6 से 15 दिसम्बर 2013 को दिल्ली में हुए जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में भी खेलने का मौका मिला।
2013 में हुआ सीनियर हॉकी टीम में स्लेक्शन
सुरेंद्र कुमार पालड़ की प्रतिभा को देखते हुए सीनियर हॉकी टीम में भी जून 2013 में भारतीय हॉकी टीम का सदस्य बनाया गया। इसके पश्चात सुरेंद्र कुमार पालड़ को हीरो होंडा हॉकी इंडिया लीग के लिए भी दिल्ली वेव राईडरज की तरफ से चुना गया। दिल्ली वेव राईडर की तरफ से खेलते हुए वर्ष 2013 में सिल्वर पदक, 2014 में स्वर्ण पदक और 2015 में कांस्य पदक हासिल करने में सुरेंद्र कुमार पालड़ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हॉकी के इस नन्हें से जादूगर की प्रतिभा को देखते हुए फूड कारपोरेशन आफ इंडिया ने स्पोर्ट कोटे के तहत वर्ष 2013 में नौकरी दी। एफसीआई की तरफ से भी सुरेंद्र कुमार पालड़ ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।