Chandigarh (Anil Kakkar). एसवाईएल मामले पर सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा को राहत मिलने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पंजाब सरकार के असवैंधानिक निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज फैसला हरियाणा के हित में दिया है जिसका प्रदेश की सरकार स्वागत करती है। यह फैसला बिल्कुल नेचुरल जस्टिस के आधार पर हुआ है यह अब सभी को मान्य होना चाहिए तथा इसका विरोध नहीं होना चाहिए। प्रदेश की जनता अपने हिस्से के पानी की हकदार है और उसे उसका पानी मिलना ही चाहिए। चूंकि अब ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है और यह फैसला राष्टÑपति महोदय तक जाएगा जिसके बाद राष्टÑपति पंजाब के टर्मिनेशन आफ एग्रीमेंट एक्ट-2004 को वापिस लौटाएंगे। और पानी पर जो बंटवारे का समझौता पहले से हुआ था वह कायम रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके बाद अब पानी के बंटवारे के समझौते को लागू होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस फैसले के बाद पंजाब और हरियाणा के संंबंधों पर इस मामले में फैसला आने के बाद कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में था इसका फैसला आ गया है और इसका सभी को स्वागत करना चाहिए। पंजाब और हरियाणा के संबंध उसी प्रकार बने रहेंगे।
प्रमुख घटनाक्रम: कब क्या हुआ
– 19 सितंबर 1960
भारत व पाकिस्तान के बीच विभाजन पूर्व रावी व ब्यास के अतिरिक्त पानी को १९५५ के अनुबंध द्वारा आवंटित किया गया। पंजाब को 7.20 एमएएफ (पेप्सू के लिए 1.30 एमएएफ सहित), राजस्थान को 8.00 एमएएफ व जम्मू-कश्मीर को 0.65 एमएएफ पानी आवंटित किया गया था।
– 24 मार्च 1976 :
केंद्र ने अधिसूचना जारी कर पहली बार हरियाणा के लिए 3.5 एमएएफ पानी की मात्रा तय की।
– 13 दिसंबर 1981:
नया अनुबंध हुआ। पंजाब को 4.22, हरियाणा को 3.50, राजस्थान को 8.60, दिल्ली को 0.20 एमएएफ व जम्मू-कश्मीर के लिए 0.65 एमएएफ पानी की मात्रा तय की गई।
– 8 अप्रैल 1982 :
इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव के पास नहर खुदाई के काम का उद्घघाटन किया। विरोध के कारण पंजाब के हालात बिगड़ गए।
– 24 जुलाई 1985 :
राजीव-लौंगोवाल समझौता हुआ। पंजाब ने नहर बनाने की सहमति दी।
– वर्ष 1996 :
समझौता सिरे नहीं चढ़ने पर हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
– 15 जनवरी 2002 :
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक वर्ष में एसवाईएल बनाने का निर्देश दिया।
– 4 जून 2004 :
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब की याचिका खारिज हुई।
– 2004
पंजाब ने पंजाब टर्मिनेशन आफ एग्रीमेंट एक्ट-2004 बनाकर तमाम जल समझौते रद कर दिए। संघीय ढांचे की अवधारण पर चोट पहुंचने का डर देखकर राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से रेफरेंस मांगा। 12 वर्ष ठंडे बस्ते में रहा।
– 20 अक्टूबर 2015 :
हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया।
– 26 फरवरी 2016 :
इस अनुरोध पर गठित पांच जजों की पीठ ने पहली सुनवाई की। सभी पक्षों को बुलाया।
– 8 मार्च 2016 :
8 मार्च को दूसरी सुनवाई। लगातार सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मई 2016 में फैसला सुरक्षित रख लिया था। पंजाब सरकार बिना कानून के डर के जमीन लौटाने का एलान कर चुकी है। अब यह नया मामला भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है।
– 10 नवंबर 2016
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के एक्ट को असवैंधानिक बताया और फैसला हरियाणा के हक में देते हुए उसे उसका पानी का हक दिलवाने के लिए केंद्र को आदेश दिया।