K Kavitha Bail Plea: नई दिल्ली (एजेंसी)। आज यानि मंगलवार को दिल्ली आबकारी नीति मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) एमएलसी की कविता को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में की गई जांच को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को फटकार भी लगाई। Supreme Court
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव की बेटी 46 वर्षीय के कविता कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में 15 मार्च से हिरासत में हैं। जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने कथित आबकारी नीति घोटाले में 27 अगस्त को के कविता की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी और सीबीआई से सुप्रीम कोर्ट ने ‘महत्वपूर्ण’ सबूत मांगे और जांच एजेंसियों से यह साबित करने को कहा कि बीआरएस नेता इसमें शामिल थे। Delhi News
मुकदमे को पूरा होने में काफी समय लगेगा | Supreme Court
कविता की जमानत पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि के कविता पांच महीने से जेल में हैं और मुकदमे को पूरा होने में काफी समय लगेगा क्योंकि 493 गवाह और कई दस्तावेज हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सह-आरोपियों के बयानों पर भरोसा किया जा रहा है जिन्हें क्षमादान दिया गया है और सरकारी गवाह बनाया गया है। दोनों मामलों में सह-आरोपी आप नेता मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। मनीष सिसोदिया के फैसले का हवाला देते हुए, बीआरएस नेता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस आधार पर उनकी जमानत के लिए दबाव डाला कि सह-आरोपी मनीष सिसोदिया को भी जमानत मिल गई है।
कविता पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप | Supreme Court
रिपोर्ट में बताया गया है कि जांच एजेंसियों ने के कविता पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। ईडी और सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दावा किया कि के कविता ने अपना मोबाइल फोन नष्ट कर दिया, जबकि मुकुल रोहतगी ने आरोप को ‘फर्जी’ बताया। एस वी राजू से सवाल करते हुए पीठ ने पूछा, ‘यह दिखाने के लिए क्या सामग्री है कि वह अपराध में शामिल थी?’ Supreme Court
हाईकोर्ट ने पहले दोनों मामलों में के कविता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि वह अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन से संबंधित आपराधिक साजिश में प्रथम दृष्टया मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक थी। Supreme Court