नई दिल्ली (एजेंसी)। आज गुरुवार, 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जेट एयरवेज (Jet Airways) के परिसमापन का आदेश दिया। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने एयरलाइन के लिए सफल बोलीदाता, जालान-कलरॉक कंसोर्टियम, पुनरुद्धार योजना का पालन करने में विफल रहने के कारण दिया है। इस फैसले से वर्षों की कानूनी लड़ाई एवं एयरलाइन के पुनरुद्धार की संभावनाएं समाप्त हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के दिवालियापन ढांचे पर भी चिंता जताई है। Supreme Court
क्यों दिया परिसमापन का आदेश | Supreme Court
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि जालान-कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) समाधान योजना में प्रमुख दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा। जेकेसी पहले चरण में वादा किए गए 350 करोड़ रुपये डालने, कर्मचारियों के बकाया का भुगतान करने और महत्वपूर्ण हवाईअड्डा शुल्क का निपटान करने में विफल रहा, जिसके कारण अदालत ने घोषणा की कि परिसमापन ही लेनदारों के लिए अपने कुछ बकाया वसूलने का एकमात्र तरीका था।
एनसीएलएटी का मार्च 2024 का फैसला किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के मार्च 2024 के आदेश को पलट दिया, जिसमें एयरलाइन पर जेकेसी के नियंत्रण को बरकरार रखा गया था। कोर्ट ने तथ्यों पर पूरी तरह से विचार न करने और जेकेसी द्वारा समाधान योजना का अनुपालन न करने के लिए एनसीएलएटी की आलोचना की। Supreme Court
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