नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत दे दी। कोर्ट ने 6 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अक्टूबर 2023 में आश्वासन दिए जाने के बावजूद मुकदमा शुरू नहीं हुआ है कि इसे छह से आठ महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया 17 महीने की लंबी कैद झेल चुके हैं और मुकदमा अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है। शीर्ष अदालत ने कहा कि “उन्हें त्वरित सुनवाई के उनके अधिकार से वंचित किया गया है”। शराब विक्रेताओं को रिश्वत देने के आरोपों का सामना कर रहे सिसोदिया को ईडी और सीबीआई ने क्रमश: 26 फरवरी, 2023 और 9 मार्च, 2023 को गिरफ्तार किया था।
28 मार्च को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था | Manish Sisodia News
गौरतलब हैं कि सिसोदिया ने 28 मार्च को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आरोपी सिसोदिया ने अपनी याचिका में कहा था कि वह 16 महीने से हिरासत में हैं। उन्होंने दलील दी थी कि मुकदमा उसी गति से चल रहा है, जिस गति से अक्टूबर 2023 में चल रहा था। शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता सोदिया ने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज दोनों मामलों में जमानत की गुहार लगाई है। यह मामला रद्द हो चुकी दिल्ली अबकारी नीति 2021-22 से संबंधित है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता आरोपी सिसोदिया को निचली अदालत, दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने सोदिया की समीक्षा याचिका और क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ता ने निपटाई गई अपनी याचिका को पुनर्जीवित करने के लिए शीर्ष अदालत में नया आवेदन दिया था। विशेष अदालत ने मार्च में पूर्व उप मुख्यमंत्री की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह प्रथम दृष्टया कथित घोटाले के “सूत्रधार” हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने और सहयोगियों के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में “सबसे महत्वपूर्ण भूमिका” निभाई थी।