मुम्बई (एजेंसी)। महाराष्ट्र सरकार पर संकट मडराता जा रहा है। अब शिवसेना और शिंदे दोनों ही गुट की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायक के पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकार सरकार से मिले हुए है, वह हमें आयोग्य नहीं ठहरा सकते। दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश वकील मनु सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों को पहले हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए था। वहीं डिप्टी स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 212 कोर्ट को विधानसभा में लंबित किसी विषय पर दखल देने से रोकता है।
जिस नोटिस का विरोध किया जा रहा है, वह विधानसभा के काम का हिस्सा है। इस पर जज ने कहा कि क्या हम यह सुनवाई कर विधानसभा की कार्यवाही में दखल दे रहे हैं? जिसका सिंघवी ने जवाब दिया कि अगर नबाम रेबिया का इस तरह से पालन हुआ तो इसके गलत परिणाम आएंगे। कल को कोई भी गुट पार्टी से अलग होने से पहले स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव दे देगा। उधर शिंदे ने कहा कि उनके पास 39 विधायकों का समर्थन है।
जज ने कहा…
जज ने कहा कि अगर आपको जवाब के लिए समय चाहिए तो हम दे सकते हैं। हम विधानसभा के सक्षम अधिकारी से जवाब मांगेंगे कि डिप्टी स्पीकर को प्रस्ताव मिला था या नहीं? क्या उन्होंने उसे खारिज कर दिया? तब सवाल यह उठेगा कि क्या वह अपने ही मामले में जन हो सकते हैं? क्या स्पीकर अपने ही मामले में जज हो सकते हैं।
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