नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट गुजरात कांग्रेस की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है, जिसमें राज्य में आगामी राज्यसभा चुनाव के दौरान नोटा के विकल्प के इस्तेमाल के निर्णय को चुनौती दी गई है।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की ओर से इस मामले को न्यायालय के समक्ष रखे जाने पर और इस पर जल्द सुनवाई की मांग किए जाने पर न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ इस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई। सिब्बल ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि संविधान में नोटा के संबंध में कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।
चुनाव में चार उम्मीदवार मैदान में
सरकारी अधिकारियों के अनुसार 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईवीएम में नोटा के विकल्प को अनिवार्य बनाने के बाद राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल के निर्देशों को जनवरी 2014 में लागू किया गया था। आठ अगस्त को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में चार उम्मीदवार मैदान में हैं।
चुनाव आयोग के नियम कहते हैं कि यदि विधायक पार्टी के निर्देश का उल्लंघन करके किसी अन्य के पक्ष में वोट डालता है या नोटा का इस्तेमाल करता है तो उसे विधायक के रूप में अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता। लेकिन पार्टी उसे निकालने समेत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
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