Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर को दी अंतरिम राहत

New Delhi
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर को दी अंतरिम राहत

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा (2022) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के आरक्षण लाभ के लिए धोखाधड़ी और फजीर्वाड़ा करने की आरोपी महाराष्ट्र कैडर की प्रशिक्षु बर्खास्त अधिकारी पूजा खेडकर को बुधवार को राहत देते हुए इस मामले में अगले आदेश तक किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। पीठ ने आदेश देते हुए कहा, ‘अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इस मुकदमे में सुश्री खेडकर की याचिका पर दिल्ली सरकार और यूपीएससी से जवाब तलब किया। New Delhi

सुश्री खेडकर ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत की पीठ के समक्ष सुश्री खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि याचिकाकर्ता संरक्षण में है, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश ने वस्तुत: उन्हें दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले की योग्यता पर कई टिप्पणियां कीं, जिससे उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। लूथरा ने कहा, ‘वह नौकरी से बर्खास्त हैं और अपने कानूनी उपाय का प्रयास कर रही हैं। इन दलीलों के बाद अदालत ने नोटिस जारी किया और कहा कि वह इस मामले में 14 फरवरी को अगली सुनवाई करेगी। New Delhi

आरोपी बर्खास्त अधिकारी ने अपनी याचिका में दावा किया कि उच्च न्यायालय का 23 दिसंबर 2024 का आदेश गलत था, क्योंकि उसके आदेश में संबंधित मामले के तथ्यों की अनदेखी की गई थी। उनकी याचिका में यह भी दावा किया गया है कि उसका चयन उचित मंजूरी के बाद किया गया था। यूपीएससी ने कई शिकायतों के बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सुश्री खेडकर ने धोखाधड़ी से खुद को ओबीसी (गैर क्रीमी लेयर) और विकलांग श्रेणी का बताया था। New Delhi

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘मौजूदा मामला न केवल एक संवैधानिक निकाय के साथ बल्कि बड़े पैमाने पर समाज के साथ की गई धोखाधड़ी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और देश के खिलाफ की गई उक्त धोखाधड़ी से संबंधित सभी पहलुओं और विशेषताओं को उजागर करने के लिए आवश्यक पूछताछ की आवश्यकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि लग्जरी कारों और विभिन्न संपत्तियों के मालिक होने के अलावा, याचिकाकर्ता के परिवार यानी पिता और माता ने उच्च पदों पर कार्य किया है। नियमों के अनुसार, ओबीसी श्रेणी से संबंधित उम्मीदवार की वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होनी चाहिए और याचिकाकर्ता ने यहां अपनी पारिवारिक आय छह लाख रुपये (मां की आय) बताई थी, जबकि अपने पिता की आय के बारे में कुछ भी नहीं बताया था। याचिकाकर्ता ने अपनी मां के साथ रहने और अपने पिता से कोई लेना-देना नहीं होने का दावा किया था।

राज्य सरकार के रिकॉर्ड से पता चला है कि याचिकाकर्ता के परिवार के पास 23 अचल संपत्ति के साथ-साथ उनके नाम पर पंजीकृत 12 वाहन हैं। पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता के पास खुद के नाम पर तीन लग्जरी कारें (बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज और महिंद्रा थार) हैं, जो 6,00,000 रुपये प्रति वर्ष की मामूली पारिवारिक आय के साथ संभव नहीं है। यूपीएससी ने 31 जुलाई, 2024 को आवेदक की (2022 की) उम्मीदवारी रद्द कर दी और उसे भविष्य की किसी भी यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी। दिल्ली की एक अदालत ने आठ अगस्त, 2024 को उसकी अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी। New Delhi

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