‘Supreme’ Ban on Bulldozer Action: नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए कहा कि वह नगरपालिका कानूनों के तहत निर्देश तैयार करेगा कि कब और कैसे किसी अपराधी की संपत्तियां गिराई जा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश जारी किए, जिनमें शिकायत की गई थी कि कई राज्यों में अपराधियों की संपत्तियां गिराई जा रही हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सार्वजनिक सड़कों, जल निकायों, रेलवे लाइनों पर बुलडोजर चलाने के लिए स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है। Supreme Court
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हम दिशा-निर्देशों को सुव्यवस्थित कर रहे हैं, ताकि कोई भी कानून का दुरुपयोग न कर सके और किसी भी संवैधानिक दुर्बलता में लिप्त न हो सके’’ मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि ‘‘बुलडोजर न्याय’’ के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई के दौरान एक आख्यान बनाया जा रहा है। यह आख्यान निर्माण क्या है? हमें उदाहरण दीजिए, हम जवाब देंगे कि यह अवैध तोड़फोड़ नहीं थी। हमें सभी बाहरी आख्यानों को ध्वस्त करना है।’’
आवश्यकता हुई तो हम चुनाव आयोग से भी संपर्क करेंगे | Supreme Court
बार एंड बेंच ने मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल के हवाले से कहा, न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने एसजी तुषार मेहता से कहा, ‘‘हम अवैध निर्माण के नाम पर बुलडोजर चलाने के इस महिमामंडन और दिखावे तथा औचित्य पर आपकी (एसजी तुषार मेहता) सहायता मांगेंगे। यदि आवश्यकता हुई तो हम चुनाव आयोग से भी संपर्क करेंगे। प्रक्रिया का पालन करने के बाद हर तरह से अनधिकृत, लेकिन किसी अन्य बाहरी कारणों से ऐसा नहीं किया जा सकता। किसी भी परिस्थिति में नहीं।’’
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा, आप पहले इस दृष्टिकोण से अलग हो जाएं कि हम आपके खिलाफ हैं। दिशा-निर्देश नगरपालिका कानून के ढांचे में और संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप होने चाहिए। आसमान नहीं टूटेगा।’’ अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के खिलाफ शिकायतों का निपटारा करने के लिए याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 1 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। 2 सितंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसी व्यक्ति के घर को सिर्फ इसलिए ध्वस्त करने की वैधता पर सवाल उठाया था क्योंकि वह आरोपी है।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी, ‘‘किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है।’’ शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए राष्ट्रव्यापी दिशा-निर्देश स्थापित करने के अपने इरादे पेश किए। Supreme Court
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