‘अगर देखना चाहते हो मेरे हौसलों की उड़ान, तो आसमान से कह दो कि और ऊंचा हो जाए।’ यह पंक्तियां स्पष्ट रूप से यह संदेश देती हैं कि किसी के सपने तभी पूरे होते हैं जब उसमें साहस और धैर्य हो। क्योंकि आसमान में उड़ना ऐसा लक्ष्य लगता है, जो शायद कभी पूरा न हो सके। लेकिन जब किसी के पास संकल्प हो, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने यही साबित किया। अपनी साहसिकता और मेहनत से उन्होंने आकाश को छुआ और एक ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया, जो भविष्य में प्रेरणा का स्रोत बनेगा। Sunita Williams
सुनीता विलियम्स का नाम आज अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में चमक रहा है। यह वही नाम है, जिसे सुनते ही अंतरिक्ष से जुड़े कई रोमांचक और प्रेरक किस्से याद आ जाते हैं। सुनीता के साथ जब अंतरिक्ष यात्री बुच विलमोर सहित चार लोग पृथ्वी पर लौटे, तो अमेरिका में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। वहीं, भारत में भी उनकी इस सफलता पर गर्व महसूस किया, क्योंकि सुनीता भारतीय मूल की हैं, इस प्रकार उनकी उपलब्धि भारत के लिए भी गौरव का विषय बनी।
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा केवल नौ दिन की थी
सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष यात्रा केवल नौ दिन की थी, लेकिन यह यात्रा अचानक नौ महीने और चौदह दिन की हो गई। शुरूआत में यह यात्रा थोड़ी सामान्य प्रतीत हो सकती थी, लेकिन वास्तव में यह बेहद कठिन थी। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी होती है, जिससे वहां की स्थितियां धरती से बहुत भिन्न होती हैं। सुनीता की यह तीसरी अंतरिक्ष यात्रा थी, और इस बार उन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ न केवल चुनौतियों का सामना किया, बल्कि अंतरिक्ष में रहते हुए कई शोध कार्य भी किए।
अंतरिक्ष की दुनिया को एक अलग ही दृष्टिकोण से देखना पड़ता है। वहां, पृथ्वी की तरह कोई ठोस आधार नहीं होता। अंतरिक्ष में वस्तुएं तैरती रहती हैं और इंसान का शरीर भी एक अद्भुत स्थिति में रहता है, जैसे कि वह वजनहीन हो। ऐसे में चलना, बैठना और सोना सभी कार्य अत्यंत कठिन हो जाते हैं। इसके बावजूद, सुनीता और उनकी टीम ने बिना किसी परेशानी के अपना काम किया। इस दौरान उन्होंने शोध कार्यों में इतनी व्यस्तता दिखाई कि कोई भी समस्या उनके रास्ते में आकर खड़ी नहीं हुई। एक दिन, जब उनका यान समुद्र में उतरा, तो वह दृश्य वाकई में अद्भुत था। Nasa
इस अभियान ने अंतरिक्ष यात्रा के नए आयाम खोले थे | Sunita Williams
नासा के इस अभियान ने अंतरिक्ष यात्रा के नए आयाम खोले थे। अंतरिक्ष यात्री अपनी यात्रा के दौरान न केवल शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत रहना पड़ता हैं। वहां के जीवन में प्रत्येक छोटी-सी बात को भी अनुकूलित करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष में नींद लेने के लिए खुद को बेल्ट से बांधना पड़ता है और पानी पीने के लिए पसीने और पेशाब को शुद्ध करके पीते हैं। ये सब अद्भुत अनुभव थे जो इंसान की सहनशक्ति और साहस को चुनौती देते थे।
नौतियों के बावजूद, सुनीता और उनके साथी मिशन में लगे रहे
इन सभी चुनौतियों के बावजूद, सुनीता और उनके साथी मिशन में लगे रहे और शोध के कार्यों को पूरा किया। नासा ने इस मिशन को सफलता से अंजाम दिया, और यह अंतरिक्ष विज्ञान में एक मील का पत्थर बन गया। भारत ने भी अपने चंद्रयान मिशन के जरिए अंतरिक्ष विज्ञान में अहम योगदान दिया है, और यह साबित किया कि भारत इस क्षेत्र में किसी भी दृष्टिकोण से पीछे नहीं है। उनके जीवन में भारतीय संस्कारों की झलक मिलती है। अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले वह भगवत गीता और गणेश जी की प्रतिमा साथ लेकर गई थीं। यह उनके भारतीय संस्कारों और श्रद्धा को दर्शाता है।
सुनीता की इस साहसिक यात्रा ने न केवल अंतरिक्ष विज्ञान को नई दिशा दी, बल्कि भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बनी। इस यात्रा के दौरान किए गए शोध को अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाएगा, जो भविष्य में विज्ञान जगत के लिए प्रेरणा का कारण बनेगा। सुनीता विलियम्स का साहस और समर्पण सभी के लिए एक प्रेरणा है। यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा में नई ऊंचाइयों को छुआ और भारतीय प्रतिभा का नाम रोशन किया। Sunita Williams
सुरेश हिंदुस्थानी (यह लेखक के अपने विचार हैं)
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