ओढां (राजू)। न कभी खेत की बुआई, न कभी जुताई, (Gardening) न ही कोई खाद-स्प्रे का खर्च और न ही कभी खेत से खरपतवार निकालना। सीधे रूप से कहें कि जीरो बजट पर खेती। सुनने में ये जरूर लगता होगा कि भला कभी ऐसे भी खेती व आमदन उठाई जा सकती है। लेकिन इसका उदाहरण ओढां खंड के गांव ख्योवाली में प्रगतिशील किसान सुनीता गोदारा के रूप में देखा जा सकता है। विदेशी पीक्यूएनके पद्धति अपनाकर किसान सुनीता बागवानी में हर वर्ष करीब 5 लाख रुपये का अतिरिक्त खर्च बचाकर करीब 20 लाख की आमदन उठा रही है। किसान सुनीता गोदारा से हमारे संवाददाता राजू ओढां ने विशेष बातचीत की। (Gardening)
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किसान सुनीता गोदारा ने बताया कि उसने करीब 14 वर्ष पूर्व 20 एकड़ भूमि में बागवानी (Gardening) शुरू की थी। इससे पहले वे सामान्य तरीके से खेतीबाड़ी करते थे। जब उसने बागवानी शुरू की थी तो लोगों ने इस बात के लिए टोका कि 20 एकड़ में ट्रायल के तौर पर बागवानी करना समझदारी नहीं है, लेकिन उसने किसी कि परवाह किए बगैर बागवानी में मेहनत शुरू कर दी। सुनीता गोदारा ने बताया कि उसने प्रथम वर्ष 20 एकड़ में बागवानी में करीब 4 लाख रुपये की आमदन उठाई। फिर दूसरे वर्ष उसने 4 गुना अधिक आमदन उठाई। किसान सुनीता गोदारा ने बताया कि उसने धीरे-धीरे में इसमें कई चीजों का और इस्तेमाल करते हुए आमदन को बढ़ाया।
अपनाई विदेशी पद्धति | (Horticulture Farmer)
किसान सुनीता गोदारा ने बताया कि उसने 3 वर्ष पूर्व पीक्यूएनके (पायदान कुदरत ए निजामे काश्तकारी) पद्धति को अपनाया। इस पद्धति को पाकिस्तान के आशिफ शरीफ ने शुरू किया था। हालांकि साथ लगते पंजाब क्षेत्र के किसान पिछले 3-4 वर्षों से ये पद्धति अपनाकर बागवानी में अच्छा लाभ उठा रहे हैं। हरियाणा में ये पद्धति करीब 2 वर्ष पूर्व ही आई है। किसान सुनीता के मुताबिक उसने इस पद्धति को अपनाकर सबसे पहले सब-सोयलर मशीन द्वारा भूमि में सुधार किया। जिसके बाद उसने बागवानी के बीच में पौधे से 6 फुट दूर सिंचाई के लिए नाली बनाई और पौधों के आसपास पराली से मल्चिंग की। (Gardening)
मल्चिंग विधि ने पौधों के आसपास की जगह को न केवल नमीयुक्त रखा बल्कि उसके आसपास पौधे को गुड़ाई भी नहीं करना पड़ा। इससे पानी की काफी बचत भी हुई। वहीं हर समय नमी मिलने के चलते पौधे भी स्वस्थ रहते हैं। किसान सुनीता ने बताया कि उसने बागवानी से न कभी खरपतवार निकाला और न ही कभी ट्रैक्टर से बुआई की। इसके अलावा उसने पौधों में न तो कभी खाद डाली और न कभी रसायनों का छिड़काव किया। यानि बागवानी ऑर्गेनिक होने के साथ-साथ जीरो बजट पर हो रही है।
नवाचार पर फोकस
बागवानी में किस तरह से नई-नई तकनीक अपनाकर किसान अति कम लागत में मोटा मुनाफा उठाएं, इसके लिए किसान सुनीता गोदारा सोशल मीडिया के माध्यम से देश व विदेश के प्रगतिशील किसानों से संपर्क बनाए रखती है। बागवानी में नालियों में ट्रैक्टर चलाना, पौधों की देखरेख करना, पौधों के बीच की जगह में बैड बनाना व खेती के अन्य कार्य सुनीता स्वयं करती है। उसकी मेहनत का ही फल है कि सुनीता हर वर्ष बागवानी में करीब 20 लाख रुपये की आमदन उठाती है। हालांकि विगत वर्ष में बागवानी काफी कमजोर रही, लेकिन किसान सुनीता ने फिर भी पीक्यूएनके पद्धति के जरिए अच्छा मुनाफा कमाया।
बागवानी की रक्षा करेंगे बांस | (Horticulture Farmer)
किसान सुनीता ने अपने खेत की मेड पर चारों ओर बांस के पौधे लगाए हैं। सुनीता का मानना है कि बांस के पौधे न केवल गर्म हवा व आंधी से होने वाले नुकसान से बागवानी को बचाएंगे बल्कि ये आमदन का एक जरिया भी है। किसान ने बताया कि वह तो यह कहती है कि हर किसान को अपने खेत की मेड पर बांस के पौधे लगाने चाहिए। ये न केवल आमदन का जरिया है बल्कि इसके काफी लाभ भी हैं।
कर्म खर्च से उठाया जा सकता है मोटा मुनाफा | (Horticulture Farmer)
किसान सुनीता गोदारा ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि हम अधिक फसल लेने के चक्कर में खेती पर खर्च भी अधिक कर बैठते हैं। जरूरी नहीं कि अधिक खर्च करने से ही अधिक मुनाफा होता है। किसान खेती में बागवानी जरूर अपनाएं। इसमें सरकार की काफी अच्छी योजना भी है। दूसरा जीरो बजट पर भी अच्छा मुनाफा है। इसके अलावा ऑर्गेनिक फसल, पानी की बचत तथा फलों में एक अलग मिठास सहित अनेक फायदे हैं। किसान पराली जलाने की बजाय उसे मल्चिंग में प्रयुक्त करें। इससे दोहरा फायदा होगा।