नवनियुक्त डिप्टी कमिशनर ने दिया कार्रवाई का भरोसा
- नगर निगम मसले का हल निकालने में फेल
बठिंडा(अशोक वर्मा)। नगर निगम द्वारा आवारा पशुओं का मसला हल करने में फेल रहने पर ‘सुलोचना’ की जिंदगी बेनूर हो गई है सुलोचना के पति बलजिन्दर कुमार की चार पांच दिन पहले आवारा पशु की चपेट में आने से मौत हो गई थी। यह विधवा कहती है कि यदि नगर निगम ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती तो उसके साथ ऐसा नहीं होना था। घटना वाले दिन बलजिन्दर अपने दोस्त के साथ उसके खेत गया था घर से जाते जाने समय उसने अपनी पत्नी को जल्द लौटने की बात कही थी।
अब इस परिवार का कभी न खत्म होने वाला इन्तजार शुरू हो गया है। बलजिन्दर अपने दो लड़कों के लिए जिंदगी के सुनहरे सपने बुन रहा था कि अचानक सड़क पर पशुओं के रूप में बैठी मौत ने एक झटके में सब कुछ खत्म कर दिया। बड़े बेटे अरुण ने कहा कि उनको कल को चाहे सारा कुछ मिल जाए परन्तु लाड़ -लड़ाने वाला पिता कभी नहीं मिल सकेगा।
शोक में डूबे परिवार को संबंधियों-स्नेहिया व पड़ोसी परिवार को ईश्वरीय आदेश मानने की बात कह रहे हैं परंतु जख़्म अभी ताजा हैं , जिन पर फिलहाल कोई मरहम काम नहीं कर रही है यह सिर्फ एक ‘सुलोचना’ की कहानी है आवारा पशुओं के कारण ओर भी कई सुलोचना हैं, जिनमें से किसी के बेटे की व किसी के पति का इन्तजार बनी हुई है जोकि शहर की सड़कों पर चली फिरती मौत के मुंह में जा समाएं हैं। शहर का लाईनों पार इलाका, माडल टाऊन, अमरीक सिंह रोड, फायर ब्रिगेड चौंक और सिविल अस्पताल सहित शहर के मुख्य बाजार आवारा पशुआें के गढ़ बने हुए हैं।
सरकार पक्का हल निकाले व पीड़ितों को दे मुआवजा
नागरिक चेतना मंच के अध्यक्ष पूर्व प्रिंसिपल बग्गा सिंह का कहना था कि सरकार को आवारा पशुओं कारण मारे गए व घायल हुए व्यक्तियों को उपयुक्त मुआवजा दे। उन्होंने कहा कि शहर में हजारों की संख्या में आवारा कुत्ते व पशु घूम रहे हैं जो कि चिंता का विषय है इन कारण लोगों को हादसों का शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने जिला प्रशासन से इस समस्या खत्म करने की मांग की। बठिंडा के नये डिप्टी कमिशनर परनीत ने कहा कि वह नगर निगम के आधिकारियों के साथ मीटिंग कर मसले का हल निकालने की कोशिश करेंगे।
बठिंडा जिले में हुई 6 सालों में दर्जनभर से अधिक मौतें
वर्ष 2011 में दो साड़ों की लड़ाई में नयी बस्ती का एक निवासी मारा गया था इस तरह ही जुलाई 2012 में माता जीवी नगर में आवारा पशु की चपेट में आकर एक युवक की मौत हो गई थी अगस्त व अक्तूबर 2012 में भी दो मौतें हुई थीं। सितम्बर 2014 में बाबा फरीद कॉलेज के विद्यार्थी भी पशुआें की लपेट में आ कर दम तोड़ दिया था 14 सितम्बर 2016 को आवारा पशु की तरफ से टक्कर मारने से धोबियाना बस्ती का रमेश कुमार कोमा में चला गया है, जिसके परिवार को हाईकोर्ट ने 30 लाख रुपया मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। यदि जिले को एक तरफ रखें तो केवल शहर में पिछले छह वर्षाां दौरान दो दर्जन से अधिक मौतें हो चुकी हैं और घायलों की संख्या तो दस गुणा से अधिक बताई जा रही है।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।
Sulochna, Victim, Stray Cattle, Punjab