‘एप्लास्टिक एनीमिया’ ने पहुंचा दिया था मौत के मुँह में, सतगुरु ने बख्शी जिदंगी | ‘Aplastic Anemia’
सरसा/गाजियाबाद(जसविन्द्र इन्सां/सच कहूँ)। ‘ऊपर वाला अपने साथ है, तो डरने की क्या बात है। ’(‘Aplastic Anemia’) ये पंक्तिया सुहैल अहमद पर सटीक बैठती हैं। ‘एप्लास्टिक एनीमिया’ जैसी बीमारी से पार पाकर यह खिलाड़ी आज दमखम के खेल कुश्ती में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है। सुहैल का चुस्ती-फुर्ती के साथ अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने का अंदाज सबसे जुदा है। उसकी खेल शैली को देख सीनियर खिलाड़ी भी चकित रह जाते हैं। इंद्रापुरी कॉलोनी निवासी यह होनहार खिलाड़ी न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन कर रहा है। दिल्ली के गोकलपुरी स्थित सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र सुहैल 9 साल की उम्र में ‘ए प्लास्टिक एनीमिया’ बीमारी की चपेट में आ गया था।
गाजियाबाद जिले के लोनी कस्बे की इन्द्रापुरी कॉलोनी में दूध की डायरी चलाने वाले पिता सुल्तान अहमद ने अपने बेटे का आल इंडिया मेडिकल सार्इंसेज (एम्स) नई दिल्ली, इंगलैंड और कुवैत तक के अस्पतालों में उसका इलाज करवाया, लेकिन सुहैल की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। हालात इस कदर तक बिगड़ गए थे कि सुहैल की प्लेटलेट्स घटकर 1000 और हिमोग्लोबिन लेवल 1.2 पहुंच गया और उसका बोलना, खाना और दिखाई देना तक बंद हो गया। डॉक्टरों ने बीमारी को लाइलाज बता दिया। तब सभी तरफ से थक हारकर सुल्तान अहमद अपने जानकार रामकेश, बिमला और कुन्ती की सलाह पर सुहैल को लेकर डेरा सच्चा सौदा पहुंचे और पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से मिले।
सुहैल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में कर रहा देश का नाम रोशन
पूज्य गुरु जी ने सुल्तान अहमद और उनके बेटे को अपने पवित्र कर कमलों से प्रशाद दिया और उन्हें डॉक्टरों की सलाह लेने के साथ-साथ डेरा सच्चा सौदा में रहकर सात दिन सुमिरन करने के लिए भी कहा। इसके बाद से ही सुहैल अहमद की सेहत में सुधार का क्रम शुरू हुआ और सात-आठ महीने तक डेरा सच्चा सौदा में आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा समुचित उपचार के बाद वह बिल्कुल तंदुरूस्त हो गया। सुहैल के पिता सुल्तान अहमद और माँ मीना अहमद कहते हैं कि पूज्य गुरु जी हमारी जिदंगी में खुदा का रूप बनकर आए। उन्होंने हमारे लाल को मौत के मुँह से निकालकर नई जिदंगी बख्शी, उनका बार-बार शुक्राना करते हैं।
- आज सुहैल न सिर्फ जिला या स्टेट बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में देश का नाम रोशन कर रहा है।
- सुहैल अहमद ने बताया कि मलेशिया में 26 से 30 दिसंबर तक आयोजित होने वाली चार दिवसीय स्कूल लेवल इंटरनेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में उसका चयन हुआ है।
- अब रेलवे मैदान में उसी की तैयारी कर रहा है।
- सुहैल ने बताया कि नेशनल और इंटरनेशनल कुश्ती प्रतियोगिताओं में 8 स्वर्ण सहित कई पदक जीत चुका है।
एक वक्त मेरे ऊपर मुसीबतों का मानों पहाड़ टूट पड़ा था। मेरे दिल का टुकड़ा मेरा बेटा आँखों के सामने तिल-तिल मौत के आगोश जा रहा था। उस वक्त पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां मेरा सबसे बड़ा सहारा बने। ये उनकी रहमत का ही कमाल है, जो आज मेरा बेटा जीवित है। वरना डॉक्टरों ने तो एप्लास्टिक एनीमिया के चलते उसका इलाज असंभव बता दिया था। पूज्य गुरु जी ने जब अपने पावन कर कमलों से प्रशाद और आशीर्वाद दिया तो उसके बाद से ही सुहैल कुछ खाने और बोलने लगा और दवाओं का असर शुरू हुआ।
सुल्तान अहमद, सुहैल के पिता
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