बाजारों में मेहंदी लगवाने को रात 2 बजे तक रही भीड़ (Festival of love and faith Karva Chauth)
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दिनभर चूड़ियां, मेकअप का सामान, ड्रैसेस खरीदने में व्यस्त रही महिलाएं
सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। गंगा मइया में जब तक के पानी रहे, मेरे सजना तेरी जिंदगानी रहे…जिंदगानी रहे…। 31 दिसम्बर 1968 को रिलीज हुई फिल्म में सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर द्वारा गाया गया यह गीत सुहागिनों के अपने पति के प्रति प्रेम, आस्था और विश्वास को दर्शाता है। इसी प्रेम, आस्था और विश्वास का प्रतीक पर्व (Karva Chauth) करवाचौथ को लेकर सुहागिनों में कई दिनों से उत्साह रहा। बाजारों में सबसे अधिक भीड़ महिलाओं की ही रही। कहीं मेहंदी लगवाने, कहीं चूड़ियों व मेकअप का सामान खरीदने तो कहीं नए डिजायन की ड्रेस खरीदने में महिलाओं की भीड़ रही।
करवाचौथ की पूर्व संध्या पर बाजारों में खूब रौनक रही। हमारी भारतीय संस्कृति में सोलह श्रृंगार की परम्परा भी है। श्रृंगार के लिए ही सौंदर्य प्रसाधन का सामान खरीदने के लिए बाजारों में 80 फीसदी भीड़ महिलाओं की ही रही। यहां सदर बाजार से लेकर शहर के अन्य बाजारों, मॉल्स में महिलाओं ने देर शाम तक खरीददारी की और देर रात तक मेहंदी लगवाई। त्योहारी सीजन में गुरुग्राम के सबसे पुराने सदर बाजार को दुल्हन की तरह सजाया गया है। बाजारों को लड़ियों से सजाने के साथ ज्वैलर्स व बड़े दुकानदारों ने दुकानों के आगे फूलों के गेट बनवाकर आने वालों को स्वागत किया।
बाजारों में कोरोना का नहीं दिखा भय
बेशक दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही हो। रोजाना कोरोना के मामले बढ़ रहे हों, लेकिन त्यौहारी सीजन में सब बेखबर से नजर आ रहे हैं। हर कोई त्यौहारों को उत्साह से मनाने का पक्षधर है। मेहंदी लगवाने के लिए एक-दूसरे के साथ सटकर बैठने वाली महिलाएं और उनके हाथों पर मेहंदी लगाने वालों के बीच कोई फासला नजर नहीं आया। कहीं न कहीं यह कोरोना को बढ़ावा देने जैसा था। अगर कोई मेहंदी लगाने वाला या फिर मेहंदी लगवाने वाली महिला ही कोरोना पॉजिटिव हो तो वह कईयों को पॉजिटिव कर सकती है। फिर भी किसी को चिंता नहीं थी। दुकानदारों ने ऐहतियातन दुकानों के बाहर ही ग्राहकों के हाथ सेनिटाइज कराने के साथ टेम्प्रेचर मापकर भी अंदर प्रवेश करने दिया।
मेहंदी व मेकअप के हजारों रुपए वसूले
करवाचौथ पर्व पर जहां बाजारों में सौंदर्य प्रसाधनों, ड्रेस में महंगाई नजर आई, वहीं मेहंदी लगाने वालों ने भी खूब चांदी कूटी। अब पहले जैसे दिन लगभग लद गए हैं, जब घरों पर ही महिलाएं एक-दूसरे को मेहंदी लगाती थी। बाजारवाद हावी होने के चलते अब यह काम भी बाजारों में ही होने लगा है। डिजायनर मेहंदी के नाम पर खूब लूट भी मची। मेहंदी से तस्वीरें बनवाने और अपने पति का नाम लिखवाने के लिए इस बार महिलाओं में क्रेज दिखा। दोनों हाथों पर मेहंदी लगाने के दाम अब चार से छह गुणा बढ़े नजर आए।
यहां सदर बाजार में मेहंदी लगाने वाले राजेश ने बताया कि पूरे बाजार में एडवांस बुकिंग है। रात के दो-ढाई बजे तक मेहंदी का काम चलेगा। क्योंकि बुकिंग बहुत अधिक हैं। सभी को 1-1 घंटे के अंतराल का समय दिया गया है। मेहंदी का जितना अधिक डिजायन पसंद किया गया, उतने अधिक रुपए देने पड़े। बाजारों के साथ-साथ शहर में अन्य स्थानों, सेक्टर्स आदि में बने ब्यूटी पार्लर में भी हाउसफुल रहा। यहां हजारों रुपए में महिलाओं को मेहंदी लगाने के साथ-साथ मेकअप का पूरा पैकेज बनाया गया था। पॉश इलाकों में बने ब्यूटी पार्लर में 5 हजार रुपए से लेकर 20 हजार तक के पैकेज बनाकर दिए गए।
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