Weather Alert: अचानक मौसम हुआ परिवर्तशील, लौटता हुआ मॉनसून कहाँ मचाएगा तबाही… कहाँ रहेगा सूखा!

Weather Alert
Weather Alert: अचानक मौसम हुआ परिवर्तशील, लौटता हुआ मॉनसून कहाँ मचाएगा तबाही... कहाँ रहेगा सूखा!

Weather Alert: मौसम डेस्क,संदीप सिंहमार। लौटता हुआ मॉनसून भले ही अंतिम दौर से गुजर रहा हो,लेकिन कई क्षेत्रों में विदाई से पहले भारी बारिश हो सकती है। लेकिन इस दौरान हरियाणा,पंजाब राजस्थान व गुजरात में बारिश के आसार नहीं है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक,पूर्वोत्तर भारत के राज्यों जैसे असम,मेघालय,नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में अगले पांच दिनों तक भारी बारिश की संभावना है। इस दौरान क्षेत्र में कुछ स्थानों पर बाढ़ की स्थिति भी बन सकती है। साथ ही, दक्षिण भारत में भी कम से कम अगले तीन दिनों तक भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में अतिवृष्टि की स्थिति देखी जा सकती है। इसके चलते इन प्रदेशों के लोगों को प्रशासन द्वारा जारी सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।

Income Tax Saving Tips: क्या पत्नी के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने से बच सकता है टैक्स? कुछ लोग ही जानते है इसका सही जवाब, अब आप भी जानें…

दिल्ली की बात करें, तो राजधानी में मौसम अपेक्षाकृत शांत रहने की उम्मीद है। हल्की बारिश के बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन भारी वर्षा की संभावना न्यूनतम है। वहीं उत्तर प्रदेश की स्थिति भी सामान्य है; हालांकि, पश्चिमी यूपी में हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है। महाराष्ट्र में मॉनसून समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन विदाई से पहले राज्य के कुछ हिस्सों में बौछारें पड़ सकती हैं। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में मौसम सूखा रहेगा,जिससे रबी फसल की तैयारी में मदद मिलेगी। लेकिन गर्म हवाओं से बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी होगी।

इन राज्यों से वापसी का दौर हुआ शुरू | Weather Alert

दूसरी ओर, दक्षिण पश्चिम मॉनसून की वापसी का सिलसिला शुरू हो चुका है। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, और जम्मू-कश्मीर से मॉनसून की वापसी की प्रक्रिया आरंभ हो गई है और अगले कुछ दिनों में यह प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है। हालांकि, उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में अगले सप्ताह तक कोई महत्वपूर्ण बारिश की उम्मीद नहीं है। यह मौसम परिवर्तन कृषि, जल प्रबंधन और दैनिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इस दौरान लोगों को सतर्क रहने और स्थानीय मौसम विभाग की सलाह का पालन करने की सलाह दी जाती है। अचानक परिवर्तशील हुए मौसम में आम जन का कर्त्तव्य बनता है कि स्थानीय प्रशासन और मौसम विभाग की जानकारी पर नजर रखें और जरूरी एहतियाती कदम उठाएं। ऐसा करना आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

इस बार उत्तर भारत मे पड़ेगी कड़ाके की ठंड

इस साल भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने की उम्मीद है। मानसून लौट रहा है और सर्दी की तैयारी शुरू हो गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग का अनुमान है कि अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना की स्थिति बन सकती है, जो ठंड को और बढ़ा सकती है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, साल के अंत तक 60 प्रतिशत संभावना है कि ला नीना की स्थिति और मजबूत होगी। इसका असर मुख्य रूप से देश के उत्तरी भागों में पड़ सकता है, जहां सामान्य से अधिक ठंड का अनुभव होगा। ला नीना के प्रभाव से तापमान में गिरावट के साथ कुछ इलाकों में बर्फबारी और ठंडी हवाएं चल सकती हैं। ऐसे में लोगों को गर्म कपड़ों, हीटिंग सिस्टम और अन्य सर्दी से बचाव के उपायों की जरूरत पड़ सकती है। यह स्थिति किसानों और विभिन्न उद्योगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अत्यधिक ठंड फसलों और उत्पादन प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है। सभी को सलाह दी जाती है कि वे मौसम पूर्वानुमानों पर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर एहतियाती कदम उठाएं।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने भी चेताया

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, अगले कुछ महीनों में ला नीना की प्रबलता बढ़ने की संभावना है, विशेष रूप से अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच। इस अवधि में ला नीना की संभावना 60 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है, जबकि अल नीनो के पुनः उभरने की संभावना नहीं है।

कब होती है ला नीना की स्थिति | Weather Alert

ला नीना की स्थिति तब होती है जब मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में बड़ी गिरावट आती है। यह बदलाव उष्णकटिबंधीय वायुमंडलीय परिसंचरण में परिवर्तन लाता है, जो हवा, दबाव, और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। इसका प्रभाव वैश्विक मौसम प्रणालियों पर भी पड़ सकता है, जिससे कुछ स्थानों पर अत्यधिक बारिश और बाढ़, जबकि अन्य में सूखे जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। ला नीना के दौरान, प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों में समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है, जिससे वैश्विक जलवायु प्रणाली में परिवर्तन आ सकता है। इसके प्रभाव से कुछ स्थानों में ठंड और शुष्क स्थितियाँ होती हैं जबकि अन्य स्थानों में गर्म और आर्द्र हालात बन सकते हैं।

WMO के इस पूर्वानुमान का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह जानकारी देशों और क्षेत्रीय संगठनों को मौसम संबंधी प्रभावों के प्रति सचेत करने और संभावित प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयारी का अवसर देती है। इस प्रकार की पूर्वानुमानित जानकारी का उपयोग सरकारें, कृषि, जल प्रबंधन, और आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ भविष्य की रणनीतियों के लिए कर सकती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here