Lohargal Dham: ऐसा कुंड, जहां लोहा गायब हो जाता है! यहीं मिली थी पांडवों को पाप से मुक्ति!

Lohargal-Dham
Lohargal-Dham ऐसा कुंड, जहां लोहा गायब हो जाता है! यहीं मिली थी पांडवों को पाप से मुक्ति!

Lohargal Dham: भारत के राजस्थान (Rajasthan) में, अजमेर जिले की अजमेर तहसील में, अजमेर से 6 किमी दूर स्थित लोहागल गाँव, जिसके नाम को लेकर एक पौराणिक कथा मशहूर है। कहा जाता है कि यहां एक भीम कुण्ड (Bheem Kund) है, जिसमें पांडवों (Pandava) के शस्त्र गले थे। उन्हें श्रीकृष्ण ने कहा कि था कि आपको मोक्ष नहीं मिलेगा क्योंकि आपके हाथ से आपके भाइयों की हत्या हुई है।

इस पर पांडवों ने नारद जी से पूछा कि मोक्ष का रास्ता क्या है? नारद जी ने जवाब देते हुए कहा था कि तीर्थों पर जाओ और जहां भी जाओगे वहीं अपने शस्त्रों को धोना। जहां भी आपके ये शस्त्र गल जाएंगे वहीं पर आपको आपके पाप से मुक्ति मिल जाएगी और मोक्ष की प्राप्ति होगी। ऐसा सुनकर वो तीर्थों पर घूमने लगे और अंत में यहां पर आए। यहां पहले वो सूर्यकुंड में नहाए और अपने शस्त्रों को धोया लेकिन वहां उनके शस्त्र नहीं गले।

बाद में वो इस कुण्ड में आए और इस कुण्ड में जब अपने शस्त्रों को धोने लगे तो उनके शस्त्र जर्राने लगे। ऐसा देखकर पांडव अपने शस्त्रों को यहीं छोड़कर चले गए और तभी से लोहा गलने से इस गांव का नाम लोहागल पड़ गया। तब से ही यहाँ भादवे में लोग आते हैं और इस कुण्ड में लोहा डालते हैं, यह सोचकर कि जब पांडवों को हत्या जैसे दोष से मुक्ति मिल गई तो हमारे परिवार में जाने-अंजाने में किसी के हाथ से कोई ऐसा छोटा-मोटा कार्य हो गया हो, जिसके हम दोषी हैं तो हमें भी ऐसे दोष से मुक्ति मिले। ऐसा सोचकर सदियों से लोग इस कुण्ड में लोहा डाल रहे हैं। लेकिन वो लोहा कहां जाता है, वो आज तक रहस्य ही है और ना ही इसके बारे में किसी को कोई पता चला है।

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ऐसा कुंड, जहां लोहा गायब हो जाता है! यहीं मिली थी पांडवों को पाप से मुक्ति!

बताया जाता है कि कुंड में लोहा डालते डालते इस कुण्ड का पानी काला हो जाता है लेकिन सावन भादवे में एक नदी आती है और वो इस कुण्ड के पानी को बहाकर ले जाती है तथा फिर से इस कुण्ड का पानी सफेद हो जाता है। लेकिन फिर से वही परंपरा वहीं क्रम चलता है और यही सदियों से होता आ रहा है। बताया जाता है कि यहीं पर एक गुफा है, भीम गुफा, जिसमें पांडव अज्ञातवास मिलने पर पांडव रुके थे।

पांडवों को कहा गया था कि इस एक साल के अज्ञातवास में अगर कोई तुम्हें पहचान जाएगा तो 13 साल की सजा फिर हो जाएगी। अज्ञातवास के दौरान अलवर जिले के विराटनगर में विराट राजा के यहां नौकरी पांडवों ने नौकरी की। वहां पर विराट राजा का एक साला था कीचक। कीचक बड़ा ही बलवान था। इस दौरान उसकी नजर द्रोपदी पर पड़ गई। भीम ने ऐसा देख कीचक को मार डाला।

ऐसे में राजा विराट ने सोचा कि ऐसा कौन बलवान है जो कीचक को मार सकता है। सैनिकों को आदेश दिया कि इसका पता लगाओ। पांडवों को ये पता था कि अगर राजा को पता चल गया कि कीचक को मारने वाला कोई और नहीं पांडव हैं, राजा उनको पहचान लेता और उन्हें 13 साल की सजा फिर भोगनी पड़ती तो वो वहां से भागकर यहां इस कुण्ड में आ गए और इस गुफा में रहने लगे। उस समय यहां पर लोगों का इतना आवागमन नहीं होता था। रातभर वो जंगल में घूमते और सुबह आकर इस गुफा में प्रवेश कर जाते थे और अपना समय व्यतीत करते थे।

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