चलो जामिया’ अभियान में जुटे हजारों छात्र, पुलिस की बर्बरता के खिलाफ की नारेबाजी
(CAA Display)
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। दिल्ली के कई विश्वविद्यालयों के छात्रों एवं शिक्षको ने बुधवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस बर्बरता के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। जामिया कोर्डिनेशन कमेटी ने पिछले महीने छात्रों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के एक महीने पूरे होने पर यहां के सभी छात्रों से ‘चलो जामिया’ का नारा दिया था। इस आह्वान पर जवाहरलाल नेहरू, दिल्ली विश्वविद्यालय तथा अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक दोपहर जामिया कैम्पस के बाहर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर पुलिस की बर्बरता के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इंसाफ की मांग की। दिल्ली विश्विविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज के करीब 50 छात्र -छात्राओं तथा ‘पिंजड़ा तोड़ आंदोलन’ से जुड़े विद्यार्थियों ने जामिया के छात्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की।
शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को समर्थन
- दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष तथा सेंट स्टीफन कॉलेज की शिक्षिका प्रोफेसर नंदिता नारायण ने कहा है ।
- सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्र जामिया में हुयी बर्बरता के एक महीना पूरा होने पर उनके समर्थन में आये हैं।
- प्रोफेसर नारायण ने कहा कि जामिया में 15 दिसंबर की घटना के बाद लोगों में जागरूकता आयी है
- वे जामिया और शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को समर्थन दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश के अलग अलग हिस्सों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आयी, एक एक करके सभी संस्थाओं को निशाना बनाया गया, तीन तलाक को खत्म किया गया, कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया फिर भी लोगों ने किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं की लेकिन सीएए लाकर धर्म के आधार पर भेदभाव करने की जो योजना बनायी गयी है उसे देश की जनता कामयाब नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे कानून सीधे तौर पर संविधान की मूल भावना पर हमला है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
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