Greedy Monkey: जंगल में बंदरों का झुंड था। सभी बंदर एक-दूसरे को प्यार करते थे व मिलकर रहते थे। जो भी मिलता, सब मिल बांटकर खाते थे। उनमें से एक बंदर बड़ा लालची था। उसका नाम चिंटू था। सब बंदरों में इतना प्रेम व एकता थी कि अगर एक बंदर मुश्किल में होता तो बाकी सभी बंदर उसके लिए जान तक देने को तैयार रहते लेकिन चिंटू बंदर की किसी से नहीं बनती थी। वह सदैव अलग रहता। एक बार अकाल पड़ गया। बंदरों को खाने को कुछ भी न मिलता। कभी किसी बंदर को कुछ खाने को मिलता तो उसी में से सब थोड़ा-थोड़ा बांटकर खा लेते। सभी परेशानी की हालत में इधर उधर घूमते रहते कि शायद खाने को कुछ मिल जाए परंतु हर बार निराशा ही हाथ लगती।
काफी दिन ऐसे ही गुजर गए। सभी बंदरों का भूख व प्यास के मारे बुरा हाल हो रहा था। कुछ बंदर तो बीमार भी पड़ गए। एक दिन चिंटू बंदर को घूमते-घूमते एक केले का गुच्छा दिखाई दिया। उसने झट से उस गुच्छे को उठा लिया व अपनी बस्ती में आ गया। इस डर से, कि कहीं कोई देख न ले, वह बंदरों के झुंड से कुछ दूरी पर ही ठहर गया व केले खाने लगा। कुछ केले खाकर ही उसका पेट भर गया परंतु उसने केले खाना बंद नहीं किया। उसको डर था कि अगर उसने केले बचाकर रख लिए तो कोई बंदर उससे छीनकर ले जाएगा और अगले दिन वह भूखा ही रह जाएगा, इसलिए उसने पूरे केले उसी दिन ही खत्म कर दिये।
चूंकि वह काफी दिनों से भूखा था और फिर इतने दिनों के बाद खाली पेट था, इतने सारे केले एक साथ खा लेने से वह बीमार पड़ गया। हालांकि कोई भी बंदर उसे चाहता नहीं था पर उसकी हालत देखकर सभी बंदरों को उस पर तरस आ गया और वे उसका हाल-चाल पूछने उसके पास आए। Greedy Monkey
उन्हें लगा कि वह भूखा रहने के कारण ही बीमार हो गया है पर चिंटू सबको कैसे बताता कि वह भूखा रहने की वजह से नहीं बल्कि अधिक खाने के कारण बीमार हुआ है। अभी वह यह सब सोच ही रहा था कि सनी नामक बंदर उसके पास आया। उसके हाथ में एक पैकेट था। उसने वह पैकेट चिंटू को देते हुए कहा, ‘भोजन न मिलने के कारण तुम बहुत बीमार हो गए हो, लो यह भोजन मुझे कहीं से मिला है। इसे तुम खा लो।’ सनी बंदर की बात सुनकर चिंटू बहुत लज्जित हुआ। उसे स्वयं पर बहुत क्रोध भी आया कि अगर वह सबके साथ मिलकर केले खाता तो न ही बीमार पड़ता व न ही उसे यह शर्मिंदगी झेलनी पड़ती।
फिर उसने सब बंदरों को बताया कि कैसे उसने लालचवश सभी केले एक साथ खा लिए। उसकी बात सुनकर सभी बंदर हैरान रह गए और अपने-अपने ठिकानों पर जाने लगे। तभी चिंटू बोला, ‘दोस्तो? मुझे माफ कर दो। मैं वादा करता हूं कि आगे से मैं भी आप सबके साथ मिल-जुलकर रहूंगा व कभी लालच नहीं करुंगा।’ बंदरों ने उसकी तरफ देखा। उसकी आंखों में पश्चाताप के आंसू थे। उन्होंने चिंटू को माफ कर दिया व फिर सभी बंदर एक साथ हंसी-खुशी से रहने लगे।
उसने वह पैकेट चिंटू को देते हुए कहा, ‘भोजन न मिलने के कारण तुम बहुत बीमार हो गए हो, लो यह भोजन मुझे कहीं से मिला है। इसे तुम खा लो।’ सनी बंदर की बात सुनकर चिंटू बहुत लज्जित हुआ।
रोचक जानकारी | Greedy Monkey
- बादल कैसे बनते हैं?
बादल पानी या बर्फ के हजारों नन्हें-नन्हें कणों से मिलकर बनते हैं। ये नन्हें कण इतने हल्के होते हैं कि वे हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं।
बादल के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं— सिरस, क्युमुलस और स्ट्रेटस। इन नामों को बादलों की प्रकृति और आकार के आधार पर रखा गया है। बहुत बार बादल मिलेजुले आकार-प्रकार के भी होते हैं। ऐसे बादलों को मिलेजुले नामों से जाना जाता है। इन प्रकारों के विषय में ठीक से जानने के लिए उन के दस नाम रखे गए हैं। ये सब नाम लैटिन भाषा में हैं। ऊँचाई पर उड़ने वाले सबसे सामान्य बादल सिरस कहलाते हैं। सिरस का अर्थ है गोलाकार। इन्हें लगभग रोज आसमान में देखा जा सकता है। ये बादल हल्के और फुसफुसे होते हैं। ये बर्फ के कणों से बने होते हैं। यहाँ तक कि गर्मी के मौसम में दिखने वाले बादलों में भी बर्फ के कण होते हैं क्योंकि उतनी ऊँचाई पर काफी सर्दी होती है।
क्युमुलस का अर्थ है ढेर। अपने नाम के अनुरूप ये बादल रूई के ढेर की तरह दिखाई देते हैं। कभी-कभी ये गहरे रंग के होते हैं तब इनमें से पानी या ओलों की वर्षा हो सकती है। ऐसे बादलों को क्युमुलोनिंबस कहते हैं। क्युमुलोनिंबस बादल एवरेस्ट पर्वत से दुगुने ऊँचे हो सकते हैं और अकसर उनमें आधा करोड़ टन से ज्यादा पानी होता है। लैटिन भाषा में क्युमुलोनिंबस का अर्थ है पानी से भरा हुआ बादल। Greedy Monkey
बादलों में संघनन के कारण बूँदें बनती हैं। ऐसा तब होता है जब गरम हवा ऊपर उठती है और ठंडी हो जाती है। बादलों को देखकर मौसम की भविष्यवाणी की जा सकती है। स्ट्रेटस का अर्थ है फैला हुआ। अपने नाम के अनुरूप ये बादल काफी नीचे होते है और पूरे आकाश को घेर लेते है। जब ऐसे बादल वर्षा करते हैं तो उन्हें निंबोस्ट्रेटस कहते हैं।
यह भी पढ़ें:– केरल में देश की आंतरिक सुरक्षा पर अटैक