पंजाब, हरियाणा सहित केंद्र सरकार को बच्चा चोर गिरोह के प्रति चौकस हो जाना चाहिए। गत दिवस पंजाब के जिला फाजिल्का में एक और मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चा चोर की कोई आम घटनाएं नहीं बल्कि एक बड़ा नेटवर्क है जो मानव तस्करी को अंजाम दे रहा है। उक्त मामले में पकड़े गए व्यक्तियों ने यह कबूल किया है कि उन्होंने बेचने के लिए बच्चा चोरी किया था लेकिन मीडिया में मामला आने से उन्होंने बच्चे की हत्या कर सुराग मिटाने की कोशिश की। बच्चे उठाने की घटनाओं ने पिछले कई सालों से जोर पकड़ा हुआ है। गिरोहों के सरगना स्थानीय अपराधियों के साथ मिलकर अपने व्यापार को अंजाम दे रहे हैं।
पिछले साल ही विशाखापटनम में बच्चा चोर गिरोह के 9 सदस्य गिरफ्तार किए गए थे। यह गिरोह गरीब मां-बाप से बच्चे खरीदने के लिए सौदेबाजी भी करता है और मकसद पूरा नहीं होने पर अपहरण करता है। दिल्ली पिछले कई सालों से बच्चे उठाने की घटनाओं में चर्चा में रह चुका है। यदि पिछले साल की बात करें तब दिल्ली बच्चों के रोजाना की गुम होने की औसत संख्या 15 से ज्यादा है। पता नहीं कितने सीसीटीवी फुटेज में चोरों द्वारा बच्चों को घरों के बाहर से उठाते देखे गए हैं। बढ़ रही बेरोजगारी के कारण अब युवाओं का बच्चा चोर गिरोह के सरगना फायदा उठा रहे हैं। राज्य सरकारें इस मामले को साधारण अपराध के तौर पर न लें। पिछले वर्षों में यह भी चर्चा रही है कि बच्चों से भिक्षा मंगवाने या उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए बच्चे बेचे जाते हैं, क्योंकि गायब बच्चों में 60 प्रतिशत से अधिक मासूम लड़कियां होती हैं। अगवा किये बच्चों से मजदूरी करवाने की रिपोर्टें भी सामने आई हैं।
दरअसल कुछ घटनाओं में बच्चों के घर से नाराज होकर जाने की घटनाएं सामने आई, जिस कारण सरकारों ने बच्चे अगवा करने की घटनाओं को साधारण घटनाएं समझ भी लिया, पुलिस ऐसे नाराज बच्चों को वापिस भी लेकर आई। बच्चे अगवा करने की कुछ घटनाओं को पुलिस ने सुलझाया भी है लेकिन अधिकतर मामले अनसुलझे रहने का बड़ा कारण ही यह है कि बच्चों को अगवाकार बहुत दूर ले जाते हैं और पुलिस उनकी तलाश नहीं कर पाती। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष देश भर में 40000 के करीब बच्चे अगवा किये जाते हैं जिनमें से 12000 के करीब मामले अनसुलझे रह जाते हैं। यह बच्चे कहां हैं?, यह सवाल बड़ा अहम है। नि:संदेह मानव तस्करी बड़ा ही संवेदनशील मुद्दा है। यह मामला राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर नहीं निपटा सकतीं। केंद्र व राज्य सरकार को पुलिस की संयुक्त कमेटियां बनाकर बेबस और मासूम बच्चों पर हो रहे अत्याचार को रोकना चाहिए।
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