आर्थिक मंदी: वित्तीय और वाहन कंपनियों के शेयर कमजोर, 15 महीने में सबसे कम रहा प्रॉडक्शन
मुंबई (एजेंसी)। कमजोर आर्थिक आँकड़ों के दबाव में निवेशकों का विश्वास डगमगाने से मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में हाहाकार मच गया और चौतरफा बिकवाली के बीच प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही। सेंसेक्स 769.88 अंक यानी 2.06 प्रतिशत का गोता लगाकर 36,562.91 अंक पर बंद हुआ। यह बजट के बाद 08 जुलाई (792.82 अंक) के बाद सेंसेक्स की सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी भी 225.35 अंक यानी 2.04 प्रतिशत लुढ़ककर 10,797.90 अंक पर बंद हुआ। इससे बड़ी गिरावट 08 जुलाई को दर्ज की गयी थी जब यह 252.55 अंक टूट गया था। दोनों सूचकांकों के मंगलवार का बंद स्तर 22 अगस्त के बाद न्यूनतम स्तर है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर सवा छह साल के निचले स्तर पाँच प्रतिशत पर आ गयी। शुक्रवार शाम जारी इस आँकड़े के बाद सोमवार को आठ बुनियादी उद्योगों के जुलाई के आँकड़े भी नकारात्मक रहे। बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दर सिमटकर दो प्रतिशत पर रह गयी। विदेशों से मिले नकारात्मक संकेतों ने भी बाजार पर दबाव बनाया। सरकार ने शेयर बाजार में बजट के बाद से ही जारी गिरावट पर ब्रेक लगाने के लिए पिछले महीने उद्योगों के निवेशकों के हित में कई घोषणाएँ की थी, जिनका बाजार पर कुछ दिनों के लिए सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा था। लेकिन अर्थव्यवस्था के कमजोर आँकड़ों ने एक बार फिर निवेशकों के विश्वास को हिला दिया।
-
निवेशकों के डूबे 2.79 लाख करोड़ रुपये
मंगलवार को शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों को तगड़ा झटका लगा और एक दिन में उनको 2.79 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 30 अगस्त को बीएसई पर लिस्टेड कुल कंपनियों का मार्केट कैप 1,40,98,451.66 करोड़ रुपये था, जो आज 2,79,036.66 करोड़ रुपये घटकर 1,39,68,329.67 करोड़ रुपये हो गया।
गुजरात इंडक्शन फर्नेस उद्योग पर मंदी की जबरदस्त मार
अहमदाबाद (एजेंसी)। वाहन उद्योग तथा स्टील का बतौर कच्चा माल इस्तेमाल करने वाले अन्य उद्योगों में मौजूदा मंदी के असर से गुजरात के इंडक्शन फर्नेस उद्योग यानी लोहे के कबाड़ अथवा स्क्रैप आयरन और स्पांज आयरन को बिजली चालित भट्टियों में गला कर बिलेट या इंगट जैसे उत्पाद बनाने वाली इकाइयों पर जबरदस्त मार पड़ी है और पिछले तीन माह में ही ऐसी एक तिहाई यानी लगभग 50 इकाइयां बंद हो गयी हैं और इनके 7000 वेतनभोगी कामगार बेरोजगार हो गये हैं। इस दौरान कुल उत्पादन भी गिर कर लगभग एक चौथाई रह गया है।