जयपुर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अधिकारियों का आव्हान किया है कि वे युगानुकूल व समयानुकूल हो रहे परिवर्तनों से स्वयं को अद्यतन रखें। विधानसभा का कार्य विशेष प्रकार का होता है। यहां से बनने वाले कानूनों में आम जन की आंकाक्षाएँ निर्भर होती है। इसलिए पारित होने वाले कानूनों का प्रत्येक शब्द महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों का दायित्व है कि वे कानून निर्माण प्रक्रिया में देश व अन्य राज्यों में हुए परिवर्तनों का भी ध्यान रखें।
देवनानी सोमवार को यहां विधानसभा में अधिकारियो के अभिविन्यास कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया। विधान सभा अधिकारियों का यह अभिविन्यास कार्यक्रम राज्य में पहली बार हो रहा है।
सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनाये
देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा देश की श्रेष्ठ विधानसभाओं में से एक है। यहां की श्रेष्ठता को बनाये रखना है। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा को देश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनाने के लिए सभी को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा। संस्थान में छोटे से लेकर बड़े तक प्रत्येक कर्मचारी व अधिकारी का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
गुण को देखने की दृष्टि हो
देवनानी ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नही होती है और न ही कोई व्यक्ति हर विषय में पारंगत होता है। उन्होंने कहा कि सदैव दूसरे के गुणों को पहचानने की क्षमता रखें। यदि कोई गुण छोटे कर्मचारी में है तो उससे भी हमें सीख लेनी चाहिए। गुण को देखने और परखने की दृष्टि होगी तो हम अपने जीवन में उन्हें ग्रहण कर सफल अधिकारी बन सकते है।
सुने, अच्छा सीखे और क्रियान्वयन करें
देवनानी ने कहा कि सभी को सुने। उसमें से अच्छा सीखे और उसे क्रियान्चयन करें। इससे कार्यालय का वातावरण सकारात्मक बनता है। इससे कार्य की गति में तीव्रता आती है। कार्यालय में आपसी सदभाव भी बढता है।
संस्थान के रीढ़ की हड्डी होते हैं अधिकारी
देवनानी ने कहा कि अधिकारीगण, किसी भी संस्थान के रीड़ की हड्डी होते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को नई सोच और नये तरीकों से अपने कार्यों को श्रेष्ठ बनाना चाहिए। विधानसभा में रचनात्मक कार्य करें। इससे समाज, प्रदेश व देश को लाभ होगा।
संवाद दो तरफा हो
देवनानी ने कहा कि इस विशेष प्रशिक्षण में संवाद दो तरफा होना चाहिए ताकि अधिकारियों की जिज्ञासाएं पूरी हो सकें। सभी अधिकारियों को निःसंकोच प्रश्न पूछने का स्वभाव रखना चाहिए।
नवाचारों की प्रबल संभावना
विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री महावीर प्रसाद शर्मा ने विशेष प्रशिक्षण कार्यकम के उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऐसे संवाद कार्यक्रमों से संस्थानों में नवाचारों की संभावनाएं प्रबल होती है। श्री शर्मा ने विषय विशेषज्ञों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये।
लोकतंत्र में जबाबदेही आवश्यक
लोकसभा सचिवालय के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में जबाबदेही आवश्यक होती है। विधायी कार्यों को पूरे मनोयोग से दूरदृष्टि की सोच के अनुरूप किया जाना चाहिए। आचार्य ने विधानसभा की समितियों को प्रभावी बनाने के विषय पर कहा कि समितियों में मुद्दों का निष्पक्ष विश्लेषण होना चाहिए। समितियों के प्रभावी रूप से कार्य करने से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
लेखन सरल भाषा में हो
पी आर एस लेजिस्लेटिव रिसर्च के प्रमुख मानस गुब्बी ने संवेधानिक प्रावधानों और संसदीय परम्पराओं के अनुसार कानून का मसौदा तैयार करने व पारित कराने में विधानसभा के योगदान तथा बजट व उसके प्रावधानो और राज्य वित्त की जाँच, अनुमोदन और अनुपालन में विधानसभा की मौलिक भूमिका के बारे में बताया। गुब्बी ने कहा कि विधायी लेखन की भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
इस दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोमवार को विधानसभा के सभी अधिकारियों ने भाग लिया। अधिकारियो ने प्रश्न पूछ कर विधायी कार्यों के विभिन्न पहलुओं पर हो रही चर्चा को जीवंत बना दिया। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी की पहल पर राज्य विधानसभा में अधिकारियों का अभिविन्यास कार्यक्रम पहली बार हो रहा है।
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