देश के कई राज्यों में कोरोना तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील के बाद एक बार फिर सख्ती बढ़ाई जा रही है। बिहार में 16 से 31 जुलाई तक मुकम्मल लॉकडाउन किया जा रहा है। इसी तरह पंजाब में वैवाहिक समारोह में लोगों की गिनती 50 से घटाकर 30 कर दी गई है। इसी तरह पांच से अधिक लोगों के इक्ट्ठा खड़े होने पर भी पूर्ण पाबंदी लगाई गई है, दूसरी तरफ पंजाब सरकार ने पंजाब आने वाले लोग, यदि 72 घंटों तक वापिस जाएंगे, को 14 दिनों के क्वारंटाईन करने में छूट दी है। स्पष्ट है कोरोना को लेकर राज्यों में अभी तक अधेड़बुन वाली स्थिति है। राज्य सरकारें कभी सख्ती करती और कभी कारोबार की फिक्र में निर्णय बदल रही हैं।
अनलॉक के बाद राज्यों में मरीजों की गिनती तेजी से बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था का पहिया घुमाने के लिए पाबंदियां हटाई जानी आवश्यक थी, लेकिन बीमारी का कहर अब जागरूक व सावधानी बरतने के बावजूद मंत्रियों व उच्च अधिकारियों को चपेट में ले रहा है। सरकारें अब असमंजस में हैं कि ढील दी जाए या सख्ती की जाए। सरकारों के कई निर्णय तो इस तरह पुरानी बात को इधर-उधर करने या खानापूर्ति वाले हैं। पंजाब सरकार पहले दूसरे राज्य या देश से आए व्यक्ति को एकांतवास में रखती थीं, अब 72 घंटों या तीन दिन बाहर गुजारने वाले को छूट दी जा रही है, उक्त निर्णय भी तर्कहीन है। इसकी क्या गारंटी है कि 72 घंटों वाला व्यक्ति सुरक्षित लौटेगा? ऐसा भी हो सकता है कि 72 घंटों से अधिक समय गुजारने वाला व्यक्ति बाहर के राज्य में किसी कोरोना सक्रंमित व्यक्ति के संपर्क के बिना ही वापिस लौट आए। इसी प्रकार 24-48 घंटों तक बाहर के राज्य में रहकर आया व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए इसीलिए समय की सीमा का कोई ज्यादा महत्व नहीं। इस मामले में सबसे सही तो टेस्टिंग है, यदि बाहर से आए प्रत्येक व्यक्ति का एंट्री प्वार्इंट पर टेस्ट हो तब उसे घर जाने की अनुमति देने के साथ ही रिपोर्ट आने तक घर में परिवार से अलग रहने के लिए कहा जाए। इतनी ज्यादा टेस्टिंग यदि संभव नहीं तब निगरानी और जागरूकता ही इसका एकमात्र समाधान है। लोगों की एंट्री प्वार्इंट पर बुखार और अन्य जांच कर उन्हें 14 दिनों तक घरों में अलग रहने के लिए कहा जा सकता है।
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