‘आसरा’ फांउडेशन की अध्यक्षा ने ‘सच कहूँ’ के सम्मुख रखे अपने विचार
सच कहूँ/विजय शर्मा करनाल/चेन्नई। ‘आसरा’ संस्था की संस्थापक ‘‘सिरिशा ताडेपल्ली’’ देश को नई दिशा देने का काम रही हैं। इन्होंने जब समाज के उस वर्ग को देखा जिन्हें मद्द की दरकार थी। तो ‘आसरा’ फाउंडेशन का गठन करने की सोची। संस्था को माध्यम बनाते हुए ‘‘सिरिशा ताडेपल्ली’’ आज उन जरूरतमंदों तक मद्द पहुंचा रही है, जो किसी कारणवश काम करने में असहाय हैं। अनाथ आश्रमों, दिव्यांग स्कूलों, गरीब परिवारों व बुजुर्गांे तक भोजन व आर्थिक सहायता मुहैया करवाना उन्होंने अपना लक्ष्य बना लिया है। इसके साथ ही महिलाओं व बेटियों को भी आत्मनिर्भर बनाने को लेकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
सिरिशा ताडेपल्ली’’ का नाम पूरे भारतवर्ष में टॉप-50 में शामिल किया गया
संस्था की इसी सेवा भावना को देखते हुए हाल ही में आसरा फाउंडेशन को सम्मान भी प्राप्त हुआ और समाज सेवा के क्षेत्र में ‘‘सिरिशा ताडेपल्ली’’ का नाम पूरे भारतवर्ष में टॉप-50 में शामिल किया गया। वहीं आपको ये भी बता दें कि मौजूदा समय में सिरिशा ताडेपल्ली चेन्नई की आईटी कंपनी में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। आज अंतर्राष्टÑीय महिला दिवस पर सच कहूँ संवाददाता विजय शर्मा ने ‘आसरा’ की संस्थापक से विशेष बातचीत भी की। जिनमें उन्होंने महिलाओं के गंभीर मुद्दों पर प्रमुखता से अपने विचार रखे।
प्रश्न: पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा है कि ‘आप किसी राष्टÑ में महिलाओं की स्थिति देखकर उस राष्टÑ के हालात बता सकते है’ लेकिन आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की साक्षरता दर कम है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में?
उतर: आपकी बात बिल्कुल सही है। इसका सबसे बड़ा कारण है इंसान की रूढ़ीवादी विचारधारा और जागरूकता की कमी। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का आज भी ये ही मनाना है कि बेटियों को पढ़ा लिखा कर क्या करना है क्यों कि एक दिन शादी के बाद उसने दूसरे के घर ही जाना है। जो गलत है सोच है। एक महिला यदि शिक्षित होती है तो वो अपने परिवार को ही नहीं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकती है। साथ ही समाज व देश का उत्थान भी कर सकती है।
प्रश्न: महिलाओं को काम के दौरान वर्क प्लेस पर मानसिक व यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। आपका क्या सुझाव रहेगा?
उतर: महिलाओं का वर्क प्लेस पर ही नहीं अपितू हर जगह मानसिक शोषण व यौन उत्पीड़न होता है, घर से लेकर बस, रेलवे स्टेशन, रोड़, मार्केट सभी जगह। बात अगर वर्क प्लेस की करें तो ये सरकार के साथ निजी कंपनियों की भी जिम्मेवारी बनती है कि वो अपनी महिला कर्मचारी को सुरक्षा प्रदान करें उनकी कंपनी में ऐसी घटिया हरकत न हो। वहीं मेरा मानना है कि ये शुरूआत सबसे पहले हर पुरुष को अपने घर से करनी चाहिए। पुरुष प्रधान समाज को ये बात अपने जहन में बिठानी होगी कि अगर वो किसी के साथ ऐसा करते हैं तो कल को उनकी बहन, बेटी, बहू, पत्नी के साथ भी ये सब हो सकता है।
सवाल: नारी उत्थान में डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु जी द्वारा चलाई गई मुहिमों के बारे में आप क्या कहना चाहेंगी?
उतर:-आज नारी उत्थान के लिए जितना पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने किया है और करवा रहे हैं वो शायद कोई नहीं कर सकता। 6 करोड़ से भी अधिक लोगों के लिए पूज्य गुरु जी प्ररेणास्त्रोत हैं। बात अगर वैश्याओं व किन्नरों की करें तो पूज्य गुरु जी ने दोनों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया गया। मेरा ये मानना है कि देह व्यापार की दलदल में फंसी ये महिलाएं भी समाज का ही अंग है और यदि समाज का एक भी हिस्सा पीछे रह गया तो देश कभी विकास नहीं कर सकता।
प्रश्न: आज महिला सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। हालांकि सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए गए हैं बावजूद इसके महिला अपराध का आकड़ा बड़ा है?
उतर: महिला सुरक्षा को लेकर जो कानून बने हैं वो कागजों तक ही सीमित हैं। मुझे तो हैरानी होती है कि आज भी हमारे समाज में घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, दुराचार जैसे महिला अपराध इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके दो सबसे बड़े कारण है पहला परवरिश और दूसरा समाज में बिकता नशा। ये दोनों ही अपराध को जन्म देते हैं। सरकार द्वारा सख्त कानून बनाने से कुछ नहीं होगा, उसे जमीनी स्तर पर लागू करना होगा, समाज व देश में जो नशों की दुकानें खुली हैं उन्हें बंद करना होगा। वहीं एक मां-बाप को भी अपने बेटे को नारी का सम्मान कैसे करना है ये बताना होगा। उसमें अच्छे संस्कारों के बीज बोने होंगे।
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