पश्चिमी मुल्कों की खुफिया एजेंसियां यह चेतावनी निरंतर प्रदान कर रही हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का खतरा बना हुआ है। यूक्रेन और रूस की सरहद पर रूस की तकरीबन एक लाख फौज विगत अनेक हफ्तों से तैनात रही है। प्रबल आशंका है कि आगामी वक्त में रूस की फौज की तादाद में बढ़ौतरी हो सकती है। अमेरिकन राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को सैन्य इमदाद प्रदान करने का हुक्म जारी कर दिया है। अत: इसी सप्ताह अमेरिकन सैन्य सामग्री की प्रथम खेप यूक्रेन पहुंच चुकी है। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय का कहना है ब्रिटिश सरकार यूक्रेन को टैंक रोधी हथियार और बख़्तरबंद गाड़ियां भी मुहैया करा रही है। अमेरिकन राष्ट्रपति जो बाइडन का कहना है कि उनको प्रतीत होता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी फौज को यूक्रेन में सैन्य दखंलदाजी अंजाम देने का हुक्म दे सकते हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन के मुताबिक रूस की सैन्य दखंलदाजी को भी यूक्रेन पर आक्रमण ही समझा जाएगा। नॉटो सैन्य फ्रंट के यूरोपीयन देशों ने गंभीर आशंका व्यक्त की है कि युद्ध के कगार पर खड़े हुए रूस और यूक्रेन के मध्य एक भी गोली चल गई, तो वह विस्फोटक चिंगारी बनकर, वस्तुत: समस्त यूरोप को युद्ध की भीषण विभीषिका में झोंक सकती है। अंतराष्ट्रीय संबधों के प्रख्यात विश्लेषकों के मुताबिक द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात यह यूरोप में उत्पन्न हुआ सबसे विकट सैन्य तनाव का दौर है। रूस की पुतिन हुकूमत चाहती है कि पूर्वी यूरोप के तमाम पूर्व कम्युनिस्ट मुल्कों में नॉटो सैन्य संगठन को अपनी सैन्य गतिविधियों का तत्काल परित्याग कर देना चाहिए।
रूसी हुकूमत चाहती है कि पूर्वी यूरोप के समस्त पूर्व कम्युनिस्ट देशों को जोकि ऩाटो सैन्य फ्रंट के सदस्य देश बन चुके हैं, उन तमाम देशों की फौज की तादाद और नॉटो से प्राप्त होने वाले हथियारों की तादाद तय कर दी जाए। यूक्रेन सैन्य संकट में अमेरिका वस्तुत: भारत को नॉटो सैन्य फ्रंट के पक्ष में देखना चाहता है। वस्तु स्थिति यह है कि भारत रूस के अधिक निकट रहा है। विगत सत्तर वर्षों से भारत का रूस से सामरिक संबंध है। भारत ने यूएस व रूस के मध्य कूटनीतिक संतुलन को कायम रखा है। भारतीय प्रतिनिधि ने यूरोप में स्थिरता और शांति स्थापित करने की अपील की है। रूस के साथ कायम रहे हैं, ऐसी स्थिति में भारत को यूक्रेन संकट का निदान निकालने की पहल अंजाम देनी चाहिए।
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