प्रगतिशील किसानों ने बताई लाभदायक
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600 से 800 रुपये प्रति एकड़ पर होगी बचत
भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। यदि किसान आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाएं व कृषि वैज्ञानिकों तथा प्रगतिशील किसानों की मानें तो ना केवल प्रति एकड़ लागत को कम कर पाएंगे, बल्कि डीएपी के लिए लाईनों में लगकर मारामारी से भी बच पाएंगे। इन दिनों डीएपी की जो कमी प्रदेश भर में दिखाई दे रही है, कृषि वैज्ञानिक व प्रगतिशील किसान इसे उचित न मानते हुए डीएपी के स्थान पर आसानी से व सस्ती उपलब्ध होने वाली सिंगल सुपर फास्टफेट (एसएसपी) का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि डीएपी के स्थान पर एसएसपी का प्रयोग करने से ना केवल सरसों की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि भूमि की उर्वरता शक्ति में भी बढ़ोत्तरी होगी तथा 600 से 800 की प्रति एकड़ की बचत भी होगी तथा किसान का लागत मूल्य भी घटेगा।
भिवानी के खंड कृषि विकास अधिकारी विरेंद्र भॉकर व जिले के प्रगतिशील किसान सुनील कुमार, श्याम सुंदर, नरेश व रामफल ने बताया कि एसएसपी बाजार में आसानी से प्रति कट्टा 350 रुपए में उपलब्ध हो रहा है, जबकि डीएपी 1200 रुपए प्रति कट्टा उपलब्ध हो रही है। जबकि डीएपी की जरूरत वर्तमान में सरसों की बिजाई के दौरान नहीं है। ऐसे में बहुत से किसान सरसों के साथ भविष्य में गेहूं की बिजाई के लिए भी डीएपी की खरीद कर स्टॉक कर लेना चाह रहे हैं, जो कि उचित नहीं है।
सल्फर सरसों में बढ़ाती है तेल की मात्रा
उन्होंने बताया कि एसएसपी में 16 प्रतिशत फॉस्टफेट व 11 प्रतिशत सल्फर होती है। इसके साथ यदि 15 से 20 किलोग्राम प्रति एकड़ यूरिया मिला दी जाए तो यह डीएपी से भी बेहतर खाद बन जाती है। जिसका प्रयोग सरसों में किया जा सकता है। इसमें उपलब्ध सल्फर सरसों में तेल की मात्रा भी बढ़ाता है, जिससे सरसों की पैदावार व गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होती है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि डीएपी को लेकर लंबी लाईनों में लगने की बजाए एसएसपी का प्रयोग करें तथा अपनी सरसो की फसल को पहले से बेहतर उत्पादन करें।
सस्ती और ज्यादा उत्पादक है एसएसपी
भिवानी जिले के प्रगतिशील किसान सुनील, श्याम सुंदर, नरेश ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से सरसों में डीएपी की बजाय एसएसपी का प्रयोग करते हैं। इससे उनकी सरसों की फसल में बढ़ोत्तरी हुई हैं तथा सरसों के दाने में तैलीय मात्रा भी बढ़ी हैं। इसके साथ ही प्रति एकड़ खाद की लागत भी कम आई है, क्योंकि डीएपी का कट्टा 1200 में मिलता है, जबकि उसके स्थान पर सिंगल सुपर फास्टफेट का कट्टा मात्र 350 रुपए में मिलता है। ऐसे में वे अपने साथी किसानों से अपील करते है कि डीएपी को लेकर लंबी लाईनों में लगने की बजाय बाजार में आसानी से उपलब्ध एसएसपी को अपनाएं तथा अपने समय व धन की बचत करें।
डीएपी की जरूरत सिर्फ गेहूँ
कृषि वैज्ञानिक विरेंद्र भॉकर का कहना है कि डीएपी की जरूरत सिर्फ गेहूँ की बिजाई में है, जिसके लिए अभी काफी समय है। जल्द ही कृषि विभाग डीएपी को लेकर नए रैक लगाएगा। ऐसे में किसान डीएपी को लेकर मारामारी ना करें तथा वर्तमान में चल रही सरसो की बिजाई के लिए एसएसपी में प्रति एकड़ 15 से 20 किलो यूरिया मिलाकर इसका प्रयोग करें।
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