संत कभी किसी को बुरा नहीं कहते
संत, पीर-फकीर इस दुनिया में सबका भला करने के लिए आते हैं। उनका किसी भी धर्म, मजहब या किसी भी व्यक्ति से कोई वैर-विरोध नहीं होता।
राम-नाम के बिना जीवन व्यर्थ
मालिक के नाम के बिना जीवन व्यर्थ है। मालिक के नाम से ही जीवन की कद्र-कीमत पड़ती है और आत्मा आवागमन से आजाद होती है। मनुष्य जन्म सदियों के बाद, युगों के बाद आत्मा को मिलता है। इस मनुष्य जन्म में अगर जीव नाम जपे, अल्लाह, वाहेगुरु का शुक्राना करे तो जन्मों-जन्मों के पाप-कर्म कट जाया करते हैं।
सुमिरन से मिलती है बुराइयों पर जीत
हर इन्सान को सुमिरन करना चाहिए और सुमिरन पर कोई जोर भी नहीं लगता। लेटकर, बैठकर, काम-धंधा करते हुए और आप यकीन मानो कि जो सेवा-सुमिरन लगन से करता है, जिसके अंदर मालिक के खजाने हैं वो जरा-जरा सी बात पर कभी पारा ऊपर-नीचे लेकर नहीं जाते।
सुमिरन से दूर होती हैं बुराइयां: पूज्य गुरु जी
आप उस परमपिता, परमात्मा का सुमिरन करते रहो। अपने आपको बुराइयों से बचाकर रखो। अगर बुराई के हाथों में अपना दामन दे दिया तो तड़पने के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होगा।
परमार्थ के लिए आते हैं संत: पूज्य गुरु जी
संत, पीर-फकीर इस संसार में हर किसी का भला करने के लिए आते हैं। दुनिया में ज्यादातर लोग अपने लिए, अपने गर्ज के लिए समय गुजारते हैं, परन्तु संत परमार्थ के लिए समय लगाते हैं।
प्रभु का पैगाम जन-जन तक पहुंचाते हैं संत
संत, पीर-फकीर उन्हें कहा जाता है जो इन्सान को सच से जोड़ देते हैं, मालिक का पैगाम जन-जन तक पहुंचाते हैं, उस प्रभु के संदेश की चर्चा करते रहते हैं, जिससे आत्मा, परमपिता परमात्मा से मिल जाए।
राम-नाम ही आत्मबल देने वाली ताकत: पूज्य गुरु जी
एक राम-नाम ही ऐसी ताकत है, जिसका जाप करने से इन्सान के अंदर आत्मबल आता है, जिसके द्वारा इन्सान बड़े से बड़े काम में भी परेशान नहीं होता।
सुमिरन से मिलती हैं ढ़ेरों खुशियां: पूज्य गुरु जी
हर इन्सान को चाहिए कि वह बुराइयों को छोड़े, इसके लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत है। एक दिन आएगा जब ईश्वर के नाम, सुमिरन से ही मनुष्य के सभी दु:ख दूर होकर वह खुशियों से मालामाल हो जाएगा।
निंदा करने वालों से सदा बचकर रहो
इन्सान निंदा-चुगली, बुराइयों व झूठ, फरेब से जितना बच सकें, उतना ही अच्छा है।
‘सुमिरन, सेवा से मिलती हैं खुशियां’
सुमिरन के पक्के बनने से इन्सान के अंदर आत्म-विश्वास भर जाता है और उसकी सहनशक्ति बहुत बढ़ जाती है। जब लगातार सुमिरन के पक्के बन जाओगे तो कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने आप ही आपके गुनाह, बुरे कर्म अंदर से निकलते चले जाएंगे और आप मालिक की दया-दृष्टि के काबिल बनेंगे।