अपने फर्ज का निर्वाह करो, मगर अति नहीं होनी चाहिए
जिस रिश्ते के लिए जुड़े हैं, बहन-भाई का रिश्ता, पति-पत्नी का, मां-बेटे का रिश्ता इन रिश्तों के लिए जो भी आपके फर्ज हैं, कर्त्तव्य है उस प्यार का निर्वाह करो, लेकिन अति नहीं होनी चाहिए। अति अगर करना चाहते हो तो भगवान, सतगुरु के प्यार में करो।
बुरे विचारों से कमजोर होती है सोचने की शक्ति
बुरे विचारों से इन्सान के शरीर पर हर तरह का असर होता है। शारीरिक शक्ति का नाश होता है, दिमाग के सोचने की शक्ति कम हो जाती है और बुरे विचारों का ताना-बाना बुनते रहने से इन्सान का आत्मबल कम होता चला जाता है।