लोभ-लालच है सर्व पाप का बाप: पूज्य गुरू जी
सरसा (सकब)। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि यह कलयुगी संसार एक जलते, बलते भट्ठ के समान है। काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार व मन-माया ऐसी आग हैं, जिसके भी अंदर यह सुलगती है वह इन्सान कभी चैन नहीं ले सकता। जिस प्रकार ...
MSG भंडारे पर पूज्य गुरु जी के वचन
सरसा। MSG Bhandara: पूज्य गुरु जी ने अपने साढ़े 6 करोड़ परिवार को संबोधित करते हुए डेरा सच्चा सौदा की स्थापना संबंधी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। आप जी ने फरमाया कि गांव कोटड़ा (बिलोचिस्तान) में अति पूजनीय पिता श्री पिल्ला मल जी व पूजनीय माता तुलसां बाई जी...
सेवा-सुमिरन ही इन्सान के सच्चे रिश्तेदार हैं
सरसा (सकब)।
पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस संसार का सबसे बड़ा काम, जो अन्य किसी जून के लिए संभव नहीं है, उसे सिर्फ इन्सान ही कर सकता है, उस काम को इन्सान भुलाए बैठा है। आदमी को अगर कहीं थोड़ा सा सफर करना हो तो ...
मनमते लोगों का संग कभी न करें
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक से प्यार लगाना आसान है लेकिन ओड़ निभाना बड़ा मुश्किल है। प्रत्येक इन्सान मालिक से प्यार करने के लिए कह तो देता है लेकिन जब आखिर तक ओड़ निभानी होती है तो मन और मनमते लोगों का टोल...
राम-नाम ही बनाता है इन्सान को बे-गम : पूज्य गुरु जी
मालिक के नाम के बिना, अल्लाह, वाहेगुरु, राम की याद के बिना और कोई तरीका नहीं है जो इन्सान को बे-गम कर सके। इन्सान की परेशानियों को दूर कर सके और आने वाले पहाड़ जैसे कर्म को काट सके।
वचनों पर चलने से होता है अंतकरण का शुद्धिकरण
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब हर जगह, हर पल, हर समय रहता है। कोई ऐसी जगह नहीं जहां भगवान न हो। प्रभु का रहमो-कर्म हर कोई हासिल कर सकता है, बस..., वचनों को मानें। आप वचनों पर चलें तो ...
‘सुमिरन, सेवा से मिलती हैं खुशियां’
सुमिरन के पक्के बनने से इन्सान के अंदर आत्म-विश्वास भर जाता है और उसकी सहनशक्ति बहुत बढ़ जाती है। जब लगातार सुमिरन के पक्के बन जाओगे तो कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने आप ही आपके गुनाह, बुरे कर्म अंदर से निकलते चले जाएंगे और आप मालिक की दया-दृष्टि के काबिल बनेंगे।
Source of inspiration: ‘‘यह तो देने वाला फकीर है, लेने वाला नहीं।’’
Source of inspiration: सन् 1958, दिल्ली। एक बार जीवोद्धार यात्रा के दौरान पूजनीय बेपरवाह साँईं शाह मस्ताना जी महाराज दिल्ली पधारे हुए थे। बेपरवाह जी ने कपड़े की खरीददारी करने की इच्छा व्यक्त की। कुछ सेवादारों को साथ लेकर आप जी दिल्ली के चांदनी चौक बाज...
सबका भला मांगते हैं संत: पूज्य गुरू जी
भक्ति करने के लिए हर समय बेशकीमती
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि संसार में आदमी अपने हिसाब से अच्छे कामों, सुख-शांति के लिए समय लगाता है। कोई भी यह सोचकर समय नहीं लगाता कि आने वाले समय में वह दुखी, परेशान होगा।...
दूसरों की बुराई छोड़ अपने गिरेबां में झांके: पूज्य गुरू जी
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक को पाने के लिए इन्सान को अपने अंदर आत्मविश्वास जगाना चाहिए। जैसे-जैसे आपके अंदर आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा, भगवान मिलेगा। यह आत्मबल रुपए-पैसे, कपड़े-लत्ते से, किसी भी और तरीके से ...